दोस्तों, आपको बता दें कि त्रेता युग में माता सीता ने हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था। इतना ही नहीं भगवान श्रीराम ने जब विष्णु रूप धारण किया तब उन्होंने कहा कि तुम कलियुग के अंत तक इस पृथ्वी पर रहोगे। इस प्रकार कलियुग में जहां-जहां श्रीराम की कथा-कीर्तन होते हैं, वहां-वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं।

इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि हनुमान जी कलियुग में कहां रहते हैं। श्रीमदभागवत पुराण के अनुसार, हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं। वर्तमान में तीन गंधमादन पर्वत हैं। पहला हिमवंत पर्वत के पास, दूसरा उड़ीसा में तथा तीसरा रामेश्वरम के पास।

महाभारत काल में एक कथा आती है कि पांडव अज्ञातवास के दौरान हिमवंत पार करके गंधमादन के पास पहुंचे थे। इतना ही नहीं एक बार भीम कमल पुष्प के लिए गंधमादन पर्वत पहुंच गए थे, जहां उन्होंने हनुमान जी को लेटे देखा था। हनुमानजी ने उस समय भीम से कहा था कि तुम ही मेरी पूंछ हटाकर निकल जाओ। लेकिन भीम उनकी पूंछ हिला तक नहीं पाए थे।

महाभारत काल में अर्जुन ने असम के तीर्थस्थल पर हनुमानजी से भेंट की थी। संभव है हनुमान जी भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ में गए होंगे। मान्यता है कि कैलाश पर्वत के उत्तर में गंधमादन पर्वत है। बता दें कि सुमेरू पर्वत के पास एक गंधमादन पर्वत है, आजकल यह क्षेत्र तिब्बत में है।

पुराणों के अनुसार, सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध गंधमादन पर्वत जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में मौजूद है। यहां तक पहुंचने के लिए तीन रास्ते हैं। नेपाल के रास्ते होते हुए मानसरोवर से आगे और दूसरा रास्ता भूटान की पहाड़ियों से आगे तथा तीसरा रास्ता अरुणाचल के रास्ते होते हुए गंधमादन पर्वत तक पहुंचने का है।

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