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संविदा कर्मियों को लेकर चर्चा के बाद सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज का मुद्दा लोगों का ध्यान खींच रहा है। जहां कई राज्य सरकारें रिटायरमेंट एज बढ़ाने पर विचार कर रही हैं, वहीं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज में दो वर्ष की वृद्धि करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह निर्णय एक चतुर्थ श्रेणी की महिला कर्मचारी द्वारा दायर याचिका के बाद आया है, जिसे 58 वर्ष की आयु में रिटायर कर दिया गया था। उसने इस रिटायरमेंट एज को न्यायालय में चुनौती दी थी।

मामले की समीक्षा करते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने उच्च न्यायालय के एक पुराने फैसले को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि 10 मई, 2001 से पहले या उसके बाद नियुक्त चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु तक अपनी सेवा जारी रखने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नर्रो देवी को 58 साल की उम्र में रिटायर करने के सरकार के फैसले को गैरकानूनी पाया और निर्देश दिया कि उन्हें उस महीने के अंत तक अपनी सेवा जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसमें वह 60 साल की हो जाएंगी। इस फैसले ने चतुर्थ श्रेणी (ग्रुप डी) कर्मचारियों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की, क्योंकि हाईकोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि उन्हें 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर ही रिटायर होना चाहिए। कोर्ट ने सुखू सरकार को सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए यह मानक सेवानिवृत्ति आयु सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।

एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण में, हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु किसी भी भेदभावपूर्ण मानदंड के साथ लागू नहीं की जा सकती। नतीजतन, 10 मई, 2001 के बाद शामिल होने वाले सभी ग्रुप डी कर्मचारी भी 60 वर्ष की आयु तक पहुंचने पर सेवानिवृत्त होंगे।

हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले रिटायर कर दिया गया है उन्हें वापस नौकरी के लिए वापस बुलाए और उन्हें 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही रिटायर करे। प्रार्थी ने इन आदेशों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उसे 60 वर्ष की आयु तक सेवा जारी रखने के आदेशों की मांग की थी।

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