गर्मी का मौसम आ गया है और 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू होने जा रहा है. यदि आप मां का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जा सकते हैं. केवल 15 हजार के अंदर और दर्शन करके वापस भी आ सकते हैं। यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और यहां आने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

वैष्णो देवी मंदिर- माता वैष्णो देवी मंदिर भक्तों के लिए एक लोकप्रिय पवित्र स्थान है। मंदिर जम्मू के कटरा में स्थित है। नवरात्रि के पावन अवसर पर मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसलिए आप चाहें तो यहां जा सकते हैं। मंदिर के पवित्र दर्शन भैरों मंदिर से शुरू होते हैं और ऐसा माना जाता है कि जब तक भैरों मंदिर नहीं जाता है। तब तक वैष्णो मंदिर के दर्शन अपूर्ण माने जाते हैं।

नैना देवी मंदिर- नैना देवी मंदिर हिमाचल के बिलासपुर जिले में स्थित है। नवरात्रि पर यहां काफी भीड़ होती है। इस मंदिर में मां के दर्शन करने से आंखों से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती की मृत्यु के बाद जब भगवान शिव उन्हें कैलाश पर्वत पर ले जा रहे थे तो उनकी एक आंख नैनीताल में गिर गई और जहां मां के अंग गिरे वहां एक शक्तिपीठ स्थापित किया गया है।

कामाख्या देवी मंदिर- गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। जी हां और यहां नवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सती के पिता राजा दक्ष ने भगवान शिव को स्वीकार नहीं किया तो वह आग में कूद गईं। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो उन्होंने माता सती के साथ तांडव शुरू किया। जब देवताओं ने यह दृश्य देखा तो उन्होंने विष्णु से सहायता मांगी। तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता के अंगों को 108 टुकड़ों में काट दिया, जो अलग-अलग देशों में गिरे। इस मंदिर में मां की योनि की पूजा की जाती है क्योंकि यहां मां की योनि गिरी थी।

मंगला गौरी मंदिर- मंगला गौरी मंदिर बिहार के गया गांव के भस्मकूट पर्वत पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में माता सती के स्तन गिरे थे, जो बाद में पत्थर में बदल गए। ऐसे में इस मंदिर में पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं को 100 सीढ़ियां चढ़कर मां मंगला गौरी के दर्शन के लिए जाना पड़ता है.

त्रिपुरा सुंदरी मंदिर- यह मंदिर उदयपुर शहर से 3 किमी दूर उमराई गांव में स्थित है। कहा जाता है कि इसी मंदिर में मां का दाहिना पैर गिरा था, जिसकी पूजा की जाती है।

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