इस दुनिया में ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जो रहस्य से भरी हैं. हमारे वैज्ञानिक उन सब की खोज में लगे हैं जब हम इस दुनिया में नहीं थे तब ये दुनिया कैसी थी, यहाँ पर कैसे लोग थे, कैसे जानवर आदि की जानकारी हमें वैज्ञानिक ही देते हैं. वैज्ञानिकों की दुनिया में बहुत एहमियत है. अगर वो न हों, तो हम बहुत सी चीज़ों से अनजान रहेंगे. हमसे पहले इस दुनिया में क्या था, ये पता हमें वैज्ञानिकों से ही लगता है.

एक ऐसी ही बात का पता दुनिया को अब लगा है. वो ये कि पहले लड़कियां किस तरह की होती थीं? क्या पुरुष और महिलाओं में कोई अंतर था, या दोनों ही एक जैसे होते थे. उनकी शारीरिक बनावट में कितनी समानता थी, ये आदि बातें मन के भीतर कौतूहल पैदा करती हैं. वैज्ञानिक बीते युग की दिलचस्प चीजों की खोज में लगे ही रहते हैं. इसी बीच पहले वैज्ञानिकों ने 9000 साल पहले के समय की एक टीनएज लड़की का चेहरा तैयार किया था जो यह बताता है कि मध्य पाषाण युग में लोग किस तरह के दिखते थे। उस समय लड़कियों के चेहरे कुछ अलग थे

वैज्ञानिकों ने जो चित्र दुनिया के सामने पेश किया है, वो अजीब है. इन्हें देखकर पता चलता है कि ईसा से 7000 साल पहले महिलाओं के चेहरे की बनावट पुरुषों से मिलती जुलती ही थी. जी हाँ, भले ही आपको ये सुनकर हैरानी हो रही है, लेकिन ये सच है. इतने हज़ारों साल पहले लड़कियों का चेहरा लड़कों जैसा ही था. दोनों ही एक जैसे लगते थे. इन दोनों की बनावट में बहुत कुछ सिमिलर था.

वैज्ञानिकों का मानना है कि धीरे धीरे लड़कियां अपनी सुंदरता पर ध्यान देने लगी और उनका चेहरा लड़कों से अलग दिखने लगा. ऑस्कर नीलसन कहते हैं कि पाषाण काल के पुरुषों और स्त्रियों के चेहरे की बनावट वक्त के साथ बदलती चली गई. अब पुरुष और महिलाएं कम मैस्कुलिन (मर्दाना) लगते हैं. इसी समय के बाद महिलाएं पुरुषों जैसी नहीं बल्कि अलग तरह की होने लगीं. स्वीडन के पुरातत्ववेदी और शिल्पकार ऑस्कर नीलसन कई प्राचीन मानवों को अपनी शिल्पकला से जीवन दे चुके हैं. आम लोगों के लिए ये बहुत ही हैरानी वाली बात है.

ये है हजारों साल पहले की लडकियाँ – अब आप सोच रहे होंगे कि अगर लड़कियां लड़कों जैसी ही दिखती थीं, तो लड़कों के इम्प्रेस होने का कारण क्या होता रहा होगा. बहरहाल हम इसमें ज्यादा दिमाग नहीं लगाते हैं, क्योंकि ये सब खोजना वैज्ञानिकों का काम है.

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