ये बात हम सभी जानते हैं कि जिसने भी इस दुनिया में जन्म लिया है उसका इस दुनिया से जाना भी तय है। मृत्यु एक शास्वत सत्य है जिसे कोई टाल नहीं सकता है। लेकिन मृत्यु के बाद हमारी आत्मा के साथ क्या होता है, इसका पता किसी को नहीं होता। गरुड़ पुराण में इस बारे में जानकारी दी गई है। इसलिए आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि मरने के बाद इंसान की आत्मा का सफर कैसा होता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु से पहले व्यक्ति की की बोलचाल आमतौर पर बंद हो जाती है। धीरे धीरे उसकी इन्द्रियां भी काम करना बंद कर देती है और वो परमात्मा की दिव्य दृष्टि से सारे संसार को एक रूप में देखना शुरू कर देता है। उसकी जिंदगी का पूरा सफर एक रील के समान आँखों के सामने से गुजरता है।

मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं जो देखने में काफी भयानक होते है। यदि व्यक्ति पुण्य करने वाला होता है तो उसके प्राण आसानी से निकल जाते हैं लेकिन पापी व्यक्ति को प्राण छोड़ते समय काफी कष्ट सहना पड़ता है। इस के बाद उसे यमलोक जाना पड़ता है।

यमलोक जाने के बाद उसके कर्मों का लेखा जोखा होता है और उसे फिर आकाश मार्ग से 13 दिनों के लिए उसके घर पर छोड़ दिया जाता है। घर आने के बाद आत्मा फिर से अपने शरीर में प्रवेश करने का प्रयास करता है लेकिन यमदूत के बंधन से उसका मुक्त हो पाना मुमकिन नहीं होता।

गरुड़ पुराण के अनुसार मरे हुए व्यक्ति की संतान 10 दिनों तक उसके निमित्त जो पिंडदान करती है, उससे ही आत्मा को चलने की शक्ति मिलती है। 13 दिनों बाद यमदूत फिर से उसे यमलोक लेकर जाते हैं। इसके बाद 47 दिनों तक उसे अपने कर्मों की सजा भुगतनी पड़ती है और कठोर दंड भी झेलने पड़ते हैं। उसे वैतरणी नदी पार करनी होती है। यमलोक के सामने पहुंचने के बाद चित्रगुप्त यमराज के समक्ष उसके कर्मों का लेखा-जोखा बताते हैं। इसके बाद ही यमराज ये निर्धारित करते हैं कि आत्मा को स्वर्ग भेजा जाए या नर्क। यमराज द्वारा निर्धारित स्थान पर अपने कर्मों को भोगने के बाद वो आत्मा फिर से जन्म लेती है।

Related News