Food Eating Rules: भोजन करने से पहले आपको भी जान लेने चाहिए ये 5 नियम, नहीं होगी अन्न और धन की कमी
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सनातन धर्म में भोजन को लगभग देवता के समान पूजनीय माना गया है। इसीलिए खाना बनाते और खाते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग भोजन के प्रति सम्मान रखते हुए पकाते और खाते हैं उन्हें दिन में दोगुना और रात में चार गुना आशीर्वाद मिलता है। ऐसा माना जाता है कि भोजन की देवी देवी अन्नपूर्णा का आशीर्वाद ऐसे घरों में हमेशा मौजूद रहता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भोजन के भंडार कभी ख़त्म न हों।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भोजन तैयार करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। खाना पकाने से पहले लोगों को तन और मन से शुद्ध होना चाहिए। मन की संतुष्टि की स्थिति में ही खाना बनाना चाहिए। देवी अन्नपूर्णा के निरंतर आशीर्वाद को आमंत्रित करते हुए भोजन को हमेशा साफ जगह पर तैयार और संग्रहित किया जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
भोजन करने से पहले बोले ये मंत्र
ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै। तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥ ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
भोजन का सम्मान करें:
भोजन करते समय कभी भी भोजन का अनादर नहीं करना चाहिए और दाहिने हाथ से भोजन करना शुभ माना जाता है। बाएं हाथ से भोजन करना अशुभ माना जाता है और कष्ट ला सकता है।
भोजन करते समय दिशा:
हिंदू परंपरा में किसी भी कार्य का समय और दिशा विशेष महत्व रखती है। सही समय पर और सही दिशा में भोजन करने की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है। हिंदू मान्यताओं में पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है, इसलिए भोजन करते समय उस दिशा की ओर मुख करना अच्छा माना जाता है।
भोजन दान करना:
यदि कोई अपने घर में अन्न और धन की निरंतर प्रचुरता चाहता है, तो उसे हमेशा दान के कार्यों में लगे रहना चाहिए। अन्न दान करना महादान के बराबर माना जाता है। इसमें आम लोगों के साथ-साथ जानवरों और पक्षियों को भी प्रतिदिन देना शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भोजन और धन की कभी कमी न हो।
खाने का सही तरीके:
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भोजन करते समय हमेशा जमीन या ऊंचे आसन पर बैठना चाहिए। उतना ही खाना लें जितना आप खा सकें, प्लेट में कभी भी बचा हुआ खाना न छोड़ें। बिस्तर पर लेटकर खाना खाने या खाने की थाली में हाथ धोने को हतोत्साहित किया जाता है। ऐसी प्रथाओं से घर में अन्न और धन की कमी हो सकती है। लोगों को हमेशा शुद्ध दिल और दिमाग से भोजन करना चाहिए। भोजन के समय वाद-विवाद देवी अन्नपूर्णा का अपमान माना जाता है।