जानकारी के लिए बता दें कि आप चाहे सरकारी कर्मचारी हों अथवा प्राइवेट कर्मचारी प्रोविडेंट फंड का पैसा उसकी सैलरी से काटा जाता है। हर महीने बेसिक सैलरी से 12 फीसदी पीएफ काटा जाता है। इतना ही हिस्सा आपकी सैलरी व संस्थान दोनों की तरफ से जमा किया जाता है। एक तीसरा हिस्सा पेंशन फंड के रूप में जमा किया जाता है। आप चाहे तो आसानी से अपना पीएफ का पैसा निकाल सकते हैं।
हांलाकि फाइनेंशियल प्लेनर का कहना है कि कर्मचारी यदि नौकरी छोड़ते हैं या फिर उन्हें कंपनी से निकाला भी जाता है, तो भी पीएफ को तुरंत निकालना समझदारी का काम नहीं है। पीएफ का पैसा तभी निकालें जब इसकी आपको सख्त जरूरत हो। आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि नौकरी छोड़ने के बाद भी आपके पीएफ पर ब्याज मिलता रहता है। नई नौकरी मिलने पर पुराने पीएफ अकाउंट को नई कंपनी में ट्रांसफर किया जा सकता है। ]

यदि आप पीएफ का पैसा निकालना चाहते हैं तो इन 10 बातों का ध्यान जरूर रखें।


1- यदि कोई कर्मचारी 5 साल की अवधि से पहले अपना पीएफ निकाल लेता है तो उसे टैक्स भरना पड़ता है।
2- नौकरी बदलने की स्थिति में कर्मचारी की EPF दूसरे इम्प्लॉयर में आसानी से ट्रांसफर हो जाएगा।
3- यदि नौकरी का कार्यकाल 5 साल से कम है तो पीएफ निकालते समय कर्मचारी को टैक्स भरना होता है।
4- किसी भी ईपीएफ योगदान के चार हिस्से हैं - कर्मचारी योगदान, नियोक्ता योगदान और नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के योगदान पर अर्जित ब्याज।
5- यदि आप पांच साल तक EPF में योगदान के बाद रकम निकालते हैं, तो इस रकम पर कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा।

6- पीएफ में ग्राहक के अपने योगदान पर टैक्स नहीं लिया जाता। लेकिन अगर ग्राहक ने अपने योगदान पर धारा 80 सी के तहत कटौती का दावा किया हुआ है , तो इसपर टैक्स लिया जाएगा।
7- पांच साल सेवा से पहले निकासी करने पर 10 फीसदी टीडीएस लगाया जाएगा।
8 - अगर पीएफ धनराशि 50,000 रुपए से कम है तो टीडीएस नहीं लगाया जाता है।
9- यदि पीएफ धनराशि 50,000 रुपए से अधिक है और सेवा की अवधि 5 साल से कम है, तो ग्राहक टीडीएस से बचने के लिए फॉर्म 15G/15H जमा कर सकते हैं।

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