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भारत में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक पूरा प्रक्रिया होती है। इसमें कई प्रकार के लाइसेंस होते हैं, जो स्टेट अथॉरिटी द्वारा जारी किए जाते हैं। प्रत्येक राज्य में एक ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट होता है, जहां से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए सभी कागजात होती हैं। कई लोग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए दलालों के चक्कर में पड़ जाते हैं, जिसमें उन्हें काफी खर्चा भी करना पड़ता है। आज हम आपको ड्राइविंग लाइसेंस की परीक्षा के बारे में बता रहे हैं, जिसमें कई लोग फेल हो जाते हैं।

लाइसेंस के लिए परीक्षा:
ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने से पहले, आपको टेंपररी या लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना होता है। इसकी फीस भी देनी होती है, जिसके बाद आपको एक परीक्षा में बिठाया जाता है। गियर और चार पहिया वाले वाहन के लिए टेस्ट अलग तरह का होता है, वहीं कमर्शियल लाइसेंस के लिए अलग परीक्षा होती है। परीक्षा से पहले आपको साइन बोर्ड दिखाए जाते हैं, जिनसे संबंधित सवाल पूछे जाते हैं।

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क्या होते हैं सवाल:
अब आप सोच रहे होंगे कि गाड़ी चलाने के लिए कौन सी परीक्षा देनी होती है, दरअसल आरटीओ की तरफ से इस बात का परीक्षण किया जाता है कि आप सड़कों या गाड़ी की कितनी जानकारी रखते हैं। इसमें ट्रैफिक सिग्नल से लेकर तमाम तरह के साइन बोर्ड्स की पहचान होना आवश्यक है। इस बुनियादी ज्ञान वाली परीक्षा में कई लोग फेल हो जाते हैं। एक बार फेल होने के बाद, आपको दूसरे दिन फिर से बुलाया जाता है। कुछ लोग कई अटेंम्प्ट्स के बाद इस परीक्षा को पास कर पाते हैं।

इस परीक्षा को पास करने के बाद, आपको कुछ दिनों का वक्त दिया जाता है, जिसमें आप पूरी तरह से गाड़ी सीखते हैं। इसके बाद आपको एक डेट दी जाती है और ड्राइविंग टेस्ट के लिए बुलाया जाता है। आपको इसमें अधिकारी को दिखाना होता है कि आप सुरक्षित तरीके से गाड़ी चला सकते हैं।

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