हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 7 नवंबर 2018 को दिवाली का पर्व है। दोस्तों, हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने भगवान राम के स्वागत में घी के दीए जलाए थे। दीवाली त्योहार के अंतर्गत ही दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज का त्यौहार मनाया जाता है।

दीवाली के दिन मां लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

शाम को 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक।

प्रदोष काल

शाम 5 बजकर 27 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट तक।

वृषभ काल

5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 53 मिनट तक।

पूजा विधि

दिवाली पूजा के दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से पहले श्री गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद गणपति को नए वस्त्र और फूल अर्पित करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना शुरू करें। पूजा स्थान में मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि वह आपके घर आएं।

मां लक्ष्मी को जल, पंचामृत इसके बाद पुन: जल से स्नान कराने के पश्चात वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद आभूषण और माला पहनाएं। इत्र अर्पित करने के बाद कुमकुम का तिलक लगाएं। धूप और दीप जलाने के बाद मां लक्ष्मी के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें।

इसके बाद बेल पत्र उनके चरणों के पास रखें तथा 11 अथवा 21 चावल अर्पित कर आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा करें। इसके बाद उन्हें भोग लगाएं। माता लक्ष्मी को हलुआ, खीर, पान, अनार, ईख, केसर आदि बहुत पसंद है। नारियल, चावल, बादाम, पिस्ता, बादाम आदि का भी भोग अर्पित करें।

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