हिंदू धर्म कितना पुराना है, यह ज्ञात नहीं। सच कहें तो हिंदू धर्म सभी धर्मों का जनक है। ऋषि-मुनियों ने अपने विवेक और ज्ञान के जरिए हिंदू धर्म को जीवित रखा। इन ऋषियों ने पुरातन काल में ऐसे-ऐसे वैज्ञानिक अविष्कार किए, जिनके दम पर भारत वर्ष ना केवल अध्यात्म बल्कि हर क्षेत्र में विश्व का गुरू बना रहा। इन ऋषियों के वैज्ञानिक अविष्कार जानकर दिमाग एकबारगी यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि क्या विदेशी शक्तियों ने हमारे ये महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अविष्कार चुरा लिए और हम से ही आगे निकल गए।

1- आचार्य भारद्वाज


दुनिया में तेजी से परिवर्तन लाने का श्रेय विमानों यानि हवाई जहाज को भी जाता है। वैसे यह बात सभी जानते हैं कि हवाई जहाज का अविष्कार राईट बंधु के नाम है। लेकिन सदियों पहले भारत के आचार्य भारद्वाज ने विमानशास्त्र लिखा था। इस ग्रंथ में विमान निर्माण संबंधी खोज की जानकारी लिखी है।

2- महर्षि विश्वामित्र


आज की तारीख में जिस देश के पास जितनी शक्तिशाली मिसाइलें हैं, वो देश उतना ही ताकतवर माना जाता है। बता दें कि महर्षि विश्वामित्र ने प्रक्षेपास्त्र का अविष्कार किया था। यह विद्या उन्होंने भगवान शिव से प्राप्त की थी। महर्षि विश्वामित्र ने ही भगवान राम को अपने प्रक्षेपास्त्र प्रदान किए थे, जिनकी बदौलत पुष्पक विमान से चलने रावण का विध्वंस संभव हो सका।

3- आचार्य कणाद


मौजूदा समय में परमाणु ताकत के बल पर अमेरिका, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देश पूरी दुनिया पर राज कर रहे हैं। लेकिन भारत में परमाणु का अविष्कार हजारों वर्षों पहले ही हो गया था। आचार्य कणाद ने परमाणुशास्त्र सदियों पहले ही लिख दिया था। उन्होंने पता लगाया था कि द्रव्य यानि लिक्विड के भी परमाणु होते हैं।

4- भास्कराचार्य


गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत न्यूटन ने दिया था। इस बात को सभी जानते हैं। लेकिन आचार्य भास्कर ने अपने ग्रंथ सिद्धांत शिरोमणि में इस सिद्धांत की व्याख्या बहुत पहले ही कर दी थी। सिद्धांत शिरोमणि में वर्णित है-आकाश से पृथ्वी की ओर आने वाली कोई भी वस्तु गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे ही आएगी।

5- महर्षि सुश्रुत


सर्जरी के क्षेत्र में आज दुनिया के सभी विकसित देश आगे हैं। भारत के लोग भी सर्जरी कराने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों की ओर रूख करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि महर्षि सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक कहा जाता है। उन्होंने अपने ग्रंथ सुश्रुतसंहिता में करीब 300 तरह की शल्य क्रिया का उल्लेख किया है। यहां तक कि इस ग्रंथ में सर्जरी में इस्तेमाल होने वाले उपकरण और उनके उपयोग का तरीका भी लिखा गया है।

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