दिल्ली का अंतिम हिंदू योद्धा जिससे जीतना असंभव था, हाथ से फाड़ डालता था शेर का जबड़ा
भारत माता ने ऐसे शूरवीरों को जन्म दिया है, जिनका नाम सुनकर ही दुश्मनों के दिल दहल जाया करते थे। आज हम आपको दिल्ली के अंतिम हिंदू योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे दुश्मन का पार पाना असंभव था। कहा जाता है कि इस योद्धा ने बचपन में अपने हाथ से शेर का जबड़ा फाड़ डाला था। जी हां, इस योद्धा का नाम पृथ्वीराज चौहान है।
पृथ्वीराज चौहान को हराना नामुमकिन था। मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को 16 बार हराने की कोशिश की थी, लेकिन हर बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा। 17वें युद्ध में धोखेबाजी करके गोरी ने पृथ्वीराज को हराया था।
पृथ्वीराज चौहान अगर अपने युद्ध के उसूलों से समझौता कर लेते तो वह कभी नहीं हारते। लेकिन इस हिंदू योद्धा के अपने कुछ उसूल थे। यह योद्धा अंधेरे में कभी वार नहीं करते थे।
इसी का फायदा उठाकर मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया था। पृथ्वीराज चौहान के पास हाथियों की एक विशाल सेना थी, जिसका मुकाबला करने की हिम्मत उस दौर के किसी योद्धा में नहीं थी। पृथ्वीराज बचपन से ही शूरवीर थे। उन्हें कन्नौज के राजा जयचंद की बेटी संयोगिता से प्यार हो गया था। जयचंद को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसलिए जयचंद ने संयोगिता की शादी किसी अन्य शक्तिशाली राजा से करने का निर्णय ले चुका था।
इसके लिए स्वयंवर का आयोजन किया गया। पृथ्वीराज चौहान स्वयंवर से ही संयोगिता को उठा ले गए और जयचंद कुछ नहीं कर सका। इस अपमान का बदला चुकाने के लिए जयचंद ने मोहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया। जयचंद की सहायता से मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज को शिकस्त दी थी।