विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना से बचाव के लिए दो गज़ की दूरी और मास्क है जरूरी, लेकिन हाल ही में एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि कोरोना से बचाव करने में दो गज़ की दूरी कोई मायने नहीं रखती। कोविड-19 से बचाव करने के लिए मास्क और वेंटिलेशन होना बहुत जरूरी है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन को प्रमाणित करने के लिए हवा के प्रवाह और बीमारी के प्रसार के संबंध में नमूना तैयार किया और हवा से कोरोना संक्रमण फैलने के खतरे को भी मापा है।

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तैयार किया कंप्यूटर मॉडल:

शोधकर्ताओं ने विद्यार्थियों और एक शिक्षक के साथ एक कक्षा का कंप्यूटर मॉडल तैयार किया है। अध्ययन में कक्षा का मॉडल 709 वर्ग फुट का था जिसकी छत नौ फुट ऊंची थी। शोधकर्ताओं ने पाया है कि कोविड-19 के हवा से होने वाले प्रसार को रोकने के लिए शारीरिक दूरी से अधिक महत्वपूर्ण मास्क और बेहतर वेंटिलेशन व्यवस्था है। अध्ययन फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसके बाद शोधकर्ताओं ने हवा के प्रवाह और बीमारी के प्रसार के संबंध में नमूना तैयार किया और हवा से संक्रमण फैलने के खतरे को मापा।

अध्ययन में सबसे पहले उन विद्यार्थियों को शामिल किया जो मास्क लगाए हुए थे। अध्ययन में शामिल कोई भी स्टूडेंट कोरोना से पीड़ित हो सकता है। कक्षा में एक टिचर भी बैठा हुआ है।

एयरोसोल ट्रांसमिशन को रोकने के लिए छह फुट की दूरी की जरूरत नहीं:

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा में सहायक प्राध्यापक माइकल किनजेल ने कहा, यह अनुसंधान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आंतरिक वातावरण में सुरक्षा को हम कैसे समझ रहे हैं इसका मार्गदर्शन देता है।

किनजेल ने कहा कि एयरोसोल ट्रांसमिशन को रोकने के लिए छह फुट की दूरी की जरूरत नहीं है, बस मास्क जरूरी है। अध्ययन दर्शाता है कि भीड़-भाड़ वाले इलाकों पर या फिर शिक्षा संस्थानों में शरीरिक दूरी बनाएं रखने से ज्यादा जरूरी है कि मास्क लगाया जाए।

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