कोरोना वायरस (कोविड -19) उन लोगों के लिए अधिक घातक साबित हो रहा है जो पहले से ही एक बीमारी से पीड़ित हैं। अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि इस घातक वायरस के संपर्क में आने से मधुमेह और बीपी के रोगियों का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे व्यक्तियों में कोरोना स्ट्रोक और मस्तिष्क में रक्त के थक्के जैसे तंत्रिका संबंधी विकारों के जोखिम को बढ़ा सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह वाले लोगों में ये जीवन-धमकी की समस्याएं अधिक आम हैं। कोरोना सबसे पहले श्वसन तंत्र की कोशिकाओं पर हमला करता है, जिससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है। इससे पीड़ितों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। वायरस शरीर में अन्य प्रणालियों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। अमेरिका में पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता कोल्बी डब्ल्यू फ्रीमैन ने कहा कि कोविद -19 का फेफड़ों से परे प्रभाव हो सकता है।

यह निष्कर्ष 1,357 कोरोना रोगियों के एक अध्ययन पर आधारित है। इनमें से कुछ कोरोनरी धमनी रोगियों के दिमाग के सीटी स्कैन जनवरी और अप्रैल के बीच किए गए थे। जिन 81 मरीजों के दिमाग की जांच की गई, उनमें से 18 को स्ट्रोक और सेरेब्रल हेमरेज की समस्या थी। उनकी रक्त वाहिकाएं ' को भी बाधित किया गया था। इनमें से लगभग आधे रोगियों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप था। फ्रीमैन ने कहा कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप वाले लोगों में न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा अधिक हो सकता है। इन लोगों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।

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