आचार्य एक राजनीतिज्ञ के अलावा एक समाजशास्त्री भी माने जाते हैं। उन्होंने एक ऐसे ग्रंथ की रचना की , जिसमें जीवन को सुखी बनाने के लिए कई अहम बातों का जिक्र किया गया।इस ग्रंथ को आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।इसके जरिए जीवन में आए उतार-चढ़ाव को आसानी से पार किया जा सकता है। वे आजीवन लोगों की मदद भी करते रहे।इतना ही नहीं उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों को धर्म का मार्ग भी दिखाया। इन नीतियों के आधार पर आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त को सम्राट बनाया था।


आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में युवाओं से संबंधित भी कई बातें बताई हैं।इन बातों का पालन करके युवा कभी भटक नहीं सकते हैं।आचार्य चाणक्य के अनुसार युवाओं में कौन सी आदतें नहीं होनी चाहिए आइए जाने।
आलस – चाणक्य के अनुसार व्यक्ति आलस के कारण व्यक्ति जीवन में कभी सफलता नहीं प्राप्त कर पाता है।इससे व्यक्ति जीवन में आने वाले कई अच्छे अवसर को गावा देता है।जिसका उसे बाद में पछतावा होता है।इसलिए व्यक्ति को कभी आलस नहीं करना चाहिए।


बुरे लोगों की संगत -आचार्य चाणक्य के अनुसार अच्छे लोगों का साथ आपको सफलता की ओर लेकर जाता है।वहीं खराब संगती आपको गलत मार्ग पर ले जाती है।व्यक्ति के जीवन पर उसकी संगती एक अहम भूमिका निभाती है।इसलिए व्यक्ति को अपनी संगत सोच समझकर चुननी चाहिए।
नशे की आदत – आचार्य चाणक्य के अनुसार शराब, सिगरेट और तंबाकू के सेवन से बचना चाहिए क्योकि नशा चाहे जो भी हो व्यक्ति के लिए नुकसानदायक ही साबित हो सकता है और ये आपको मानसिक और शारीरिक रूप से बर्बाद कर देता है।साथ ही ये आपके स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है।


क्रोध – आचार्य चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को कभी गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योकि इससे व्यक्ति अपने सोचने समझने की शक्ति को खो देता है।गुस्सा व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है इसलिए कभी भी गुस्से को अपने ऊपर हावी न होने दें।

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