कोरोना महामारी से जंग में लोगों के वैक्सीनेशन का काम भारत में तेजी से चल रहा है। इस समय ऑक्सफोर्ड की एस्ट्रोजेनेका के फॉर्मूले पर बनी कोविशील्ड और कोवेक्सीन के शार्ट दिए जा रहे हैं। वहीं एक स्टडी में ये खुलासा हुआ है कि कोविशील्ड का तीसरा डोज बीमारी के प्रति मजबूत सुरक्षा प्रदान करता है।

अभी लगाए जा रहे हैं दो डोज
अभी कोविशील्‍ड के दो डोज लगाए जा रही हैं। अलग-अलग देशों में कोविशील्ड के 2 डोज में 28 दिन से 16 सप्ताह तक अंतर रखा जा रहा है। अब एक स्टडी के अनुसार कोविशील्ड का तीसरा बूस्टर डोज कोरोना वायरस के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी को बढ़ाता है। बूस्टर डोज ने जो एंटी-बॉडी रिएक्शन पैदा किया वह कोरोना वायरस के किसी भी वेरिएंट को रोकने में पर्याप्त सक्षम है।

ऑक्‍सफोर्ड ने की है स्‍टडी
दुनिया भर में टीकाकरण की रफ्तार तेज होने के बीच वैक्सीन बनाने वालों ने दावा किया है कि हर साल कोरोना की बूस्टर डोज देनी होगी क्योंकि वायरस में बदलाव होता है।

फाइजर के वैज्ञानिक ने भी कही यही बात
वैक्‍सीनेशन के तहत दो शॉट्स के साथ वैक्‍सीन लोगों को लगाई जा रही है। फाइजर की वैक्‍सीन को तैयार करने वाली कंपनी बायोएनटेक की चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) ने भी कहा था कि लोगों को इस वैक्‍सीन का तीसरा शॉट भी लगवाना पड़ सकता है।

क्‍यों जरूरी है तीसरी डोज
फाइजर के सीईओ अल्‍बर्ट बोरला ने भी उनके इस बयान से सहमति जताई है। जिस तरह से हर साल सीजनल फ्लू से बचने के लिए लोग दवाई लेते हैं, उसी तरह से कोविड-19 की वैक्‍सीन हर साल लेनी पड़ सकती है। बोरला की मानें तो लोगों को हर साल इस तरह के बूस्‍टर शॉट की जरूरत पड़ सकती है।

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