हम सभी ट्रेनों में यात्रा करते हैं और आपको पता होगा कि ट्रेन के AC कोच के लिए ज्यादा पैसे तो लिए ही जाते हैं साथ ही गर्मियों में ओढ़ने के लिए चादर और सर्दियों के लिए कंबल दिए जाते हैं। लेकिन ये कंबल कहाँ तक और कितने साफ होते हैं? क्या इस बात की जानकरी आपको है?

आज हम आपको इसी बारे में आपको बताने जा रहे हैं। रेलवे के अनुसार जो लिनन का कपड़ा दिया जाता है वो हर एक पैसेंजर के इस्तेमाल के बाद धुलता है जबकि कंबल को महीने में एक बार धोया जाता है क्योकिं ये कंबल रोजाना वॉश नहीं किए जा सकते हैं।

कम्बल ऊनी कपड़ों के होते हैं और 50 बार तक ही धोए जा सकते हैं। अब इनका मेटेरियल भी बदल दिया गया है जिस से कि ये सालों साल धुलाई के बाद भी चलें।

इन कबलों को हर 2 सालों में बदला जाता है पहले इन्हे 4 सालों में बदला जाता था। CAG ने 2017 में संसद में पेश की गई एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि इन कंबलों को धोने के लिए जो शेड्यूल भी फॉलो नहीं करता है। कई ट्रेनों का तो ये हाल है कि यहाँ के कंबल 1-2 साल से नहीं धुले हैं।

कंबल ही नहीं तकिए के कवर का भी यही हाल है। इतना ही नहीं कई डिपो तो ऐसे हैं जिनकी चादरें भी निर्धारित शेड्यूल से नहीं धुली है। 2015-16 के ऑडिट में ये भी सामने आया कि कंबलों को धोने का अंतराल 6 महीने से 1 साल है।

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