कोरोना संक्रमण से बचने के लिए कोरोना वैक्सीन लगवाने की सलाह दी जाती है। वर्तमान में इसकी दो दो डोज सभी को लगाई जा रही है। हालाकिं वैक्सीन की कमी से कई राज्य जूझ रहे हैं। लेकिन वर्तमान में वैज्ञानिकों को ये नहीं पता है कि क्या इस वैक्सीन का असर जिंदगी भर रहेगा? या इसकी बूस्टर डोज हर साल लगानी पड़ेगी। इस बात को लेकर वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं।

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉक्टर एमसी मिश्रा ने बतया कि अभी वैज्ञानिकों को इस बारे में जानकारी नहीं है कि ये कोरोना वैक्सीन जिंदगी भर सुरक्षा देगी या नहीं। अगर परीक्षणों में यह बात सामने आती है कि इन वैक्सीन का असर लंबे समय तक कायम नहीं रहता है तो हर आठ-दस महीने में लोगों को इसकी बूस्टर डोज लेनी पड़ेगी।

चल रहा है अध्ययन
जानकारी के लिए बता दें कि जब हम कोई वैक्सीन लगवाते हैं तो हमारे शरीर में उस वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो जाती है। इस एंटीबॉडी को चेक करके यह पता लगा सकते हैं कि शरीर में अभी भी वायरस से लड़ने की श्रमता है या नहीं।

भारत में 16 जनवरी 2021 से कोरोना वैक्सीन की पहली डोज का लगना शुरू हुआ था। इसके 6 महीने बीतने के बाद उन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का स्तर चेक किया जाता है।

भारत बायोटेक ने कोरोना वैक्सीन की डोज दी है उन्हें दो ग्रुप में बांटा है। इसमें से एक ग्रुप के लोगों को कोवैक्सिन की दूसरी खुराक दी जा रही है, जबकि दूसरे ग्रुप को प्लेसिबो (फेक वैक्सीन) दिया गया था। इसके एक महीने के बाद उन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी की जांच की जाएगी। थोड़े थोड़े समय में एंटीबॉडी की जांच की जाएगी जिस से इसका स्तर पता लगाया जाए। लेकिन इसका असर लंबे समय तक नहीं रहा तो वैक्सीन निर्माता कंपनियों के सामने भी चुनौती बढ़ जायेगी।

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