नई दिल्ली: आज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती है। जब भी राजीव गांधी के कार्यकाल की बात आती है तो भोपाल गैस त्रासदी की दर्दनाक तस्वीर आंखों के सामने उभरने लगती है। जिसमें हजारों लोग बेवजह मारे गए और इस मौत के लिए जिम्मेदार शख्स को राजीव गांधी ने रातों-रात देश से भगा दिया। 1984 की उस काली रात की भोपाल गैस त्रासदी को कोई भी भारतीय नहीं भूल सकता। जब मौत पूरे शहर में फैल गई। घरों में सो रहे हजारों लोग सोए रहे, भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव होने लगा। हजारों लोग इसकी चपेट में आ गए। कुछ ही घंटों में 3000 जीवित इंसान लाश बन गए। भोपाल गैस त्रासदी के चार दिन बाद 7 दिसंबर को यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन भोपाल पहुंचे, जहां उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन उन्हें सिर्फ 25,000 रुपये में जमानत मिल गई।

उन्हें यूनियन कार्बाइड के भोपाल गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया था, लेकिन अंदर ही अंदर सारा सिस्टम उन्हें भागने में मदद कर रहा था। रातों रात एंडरसन को सरकारी विमान से भोपाल से दिल्ली लाया गया। दिल्ली में वह अमेरिकी राजदूत के आवास पहुंचे और फिर एक निजी एयरलाइन से मुंबई से अमेरिका के लिए रवाना हुए। मध्य प्रदेश के पूर्व निदेशक उड्डयन आरएस सोढ़ी ने भी इस संबंध में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें भोपाल से दिल्ली के लिए एक सरकारी विमान तैयार रखने के लिए एक कॉल आया था।

एंडरसन उसी विमान से दिल्ली पहुंचे। उस वक्त भोपाल के पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी खुद एंडरसन को विमान में चढ़ाने गए थे। उस समय मध्य प्रदेश के सीएम अर्जुन सिंह थे और राजीव गांधी पीएम थे। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के खुफिया दस्तावेजों के मुताबिक, हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार एंडरसन की रिहाई का आदेश राजीव गांधी सरकार ने ही दिया था।

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