हर मनुष्य के जीवन में हस्‍तरेखा का बहुत महत्व है, लेकिन आज भी बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ होते हैं कि कर्मों के आधार पर हाथों की रेखाएं बदल जाती हैं और उसके साथ ही हथेली की रंगत भी बदलती है, जी हाँ, ये बात सच है , आप सभी को बता दें कि हस्‍तरेखा शास्‍त्र के अनुसार यह एक नैचुरल प्रक्रिया है जिसका संबंध हमारे कर्मों से होता है, तो आइए जानते हैं इसके बारे में,,,


दरअसल हस्‍तरेखा शास्‍त्र के अनुसार, अगर कोई व्‍यक्ति हर काम जल्‍दबाजी में करता है या फिर अचानक से ही क‍िसी के पास ढेर सारा पैसा आ जाता है तो उसकी हथेली की रंगत बदलने लगती है, इसी के साथ ऐसी मान्‍यता है क‍ि ऐसे लोगों की हथेली का रंग लाल होता है। केवल इतना ही नहीं अगर क‍िसी व्‍यक्ति को अचानक से डिप्रेशन की समस्‍या हो जाती है या फिर उसके स्‍वभाव में रूखापन आने लगता है तो ऐसे लोगों के हथेली का रंग काला होना आरम्भ हो जाता है।


अगर कोई व्‍यक्ति दूसरों को तकलीफ देने की उपाय निकालता है या फिर वह एक से अधिक प्रेम प्रसंगों में रहता है तो ऐसे लोगों की हथेली भूरे रंग की होती है, अगर कोई हर समय आलस करता है तो उसके हथेली का रंग पीला हो जाता है।

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