देश में ब्लैक और वाइट फंगस के मामलों की बढ़ती संख्या के बीच, अब एक व्यक्ति में येलो फंगस का पता चला है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में, यह मामला सोमवार (24 मई, 2021) को पहली बार गाजियाबाद में देखा गया है और येलो फंगस कथित तौर पर ब्लैक और वाइट फंगस से अधिक खतरनाक है।

मरीज का इलाज फिलहाल ईएनटी सर्जन डॉक्टर बृजपाल त्यागी के अस्पताल में चल रहा है।

येलो फंगस के लक्षणों में सुस्ती, वजन कम होना, भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना बताया जाता है। इसके बाद, येलो फंगस के अधिक गंभीर लक्षण मवाद का रिसाव भी हो सकते हैं। यह कथित तौर पर घावों की उपचार प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है और इसे धीमा कर देता है।

येलो फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होती है और किसी व्यक्ति के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह किसी भी लक्षण को देखते ही चिकित्सा उपचार ले। येलो फंगस का उपचार एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है, जो एक एंटी-फंगल दवा है।

खराब स्वच्छता ज्यादातर येलो फंगस के संक्रमण का कारण बनती ह। बहुत अधिक आर्द्रता भी संक्रमण का कारण बन सकती है क्योंकि यह बैक्टीरिया और कवक के प्रसार को बढ़ावा देती है। आर्द्रता 30% से 40% के बीच रह सकती है।

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