यह बात सभी जानते हैं है कि भगवान श्रीराम का जन्म रघुकुल या रघुवंश में हुआ था। अयोध्या के राजा श्रीराम के वंश में वर्णित यह कहावत आज भी उतनी ही लोकप्रिय है- रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन ना जाई।

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। रघुवंश के पहले राजा का नाम इक्ष्वाकु है। इसलिए रघुवंश को इक्ष्वाकु वंश भी कहा जाता है। रघुवंश के प्रमुख राजाओं में हरिश्चंद्र, भागीरथ, दिलीप, रघु, अज और दशरथ के साथ श्रीराम का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है। रघुवंश में दशरथ पुत्र राम और उनसे पहले के राजाओं की कुछ कथाएं अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं श्रीराम के बाद रघुवंश में कौन-कौन से राजा हुए।

लव-कुश
रावण का वध करने के बाद श्रीराम जब अयोध्या के राजा बने, तब देवी सीता के चरित्र को लेकर जनता के बीच एक अपवाद उठा। इसके बाद राम ने सीता का परित्याग कर दिया। उन दिनों सीता गर्भवती थी। माता सीता को महर्षि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में शरण दी थी। वाल्मीकि आश्रम में देवी सीता ने लव और कुश नामक दो पुत्रों को जन्म दिया था। सीता परित्याग के करीब 12 वर्षों बाद राम ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था। इसी दौरान राम को पता चला कि लव- कुश उन्हीं के पुत्र हैं।

राम की मृत्यु
कहा जाता है कि जब भगवान राम को यह अहसास हुआ कि धरती पर अब उनका काम खत्म हो गया है तो वह भी वैकुंठ में चले गए थे। कुछ संदर्भग्रंथों के मुताबिक, श्री राम ने सरयू नदी में जल समाधि ले ली थी।

श्रीराम ने लव-कुश को बनाया राजा
श्रीराम ने अपने दोनों पुत्रों लव-कुश को राजा बनाया। उन्होंने लव को श्रावस्ती और उत्तर कौशल तथा कुश को कुशावती का राजा बना दिया।

राजा अतिथि
कुश के पुत्र अतिथि रघुकुल के राजा हुए। महर्षि वशिष्ठ के संरक्षण में राजा अ​तिथि महान योद्धा बने। अतिथि के बाद उनके पुत्र निषध राजा बने।

राजा नल
राजा नल भी महान योद्धा साबित हुए। नल का बेटा नभ जब राजा बनने योग्य हुआ तब नल जंगल चले गए। नभ के बाद पुण्डरीक राजा बने।

देवानीक
रघुकुल के राजा पुण्डरीक के बाद उनका पुत्र क्षेमधन्वा राजा बना। यह इतने महान थे कि इन्हें देवताओं की सेना का अधिपति बनाया गया। इसलिए उनका नाम देवानीक पड़ा था।

अहीनगु
राजा देवानीक के बाद उनके पुत्र अहीनगु राजा बने। अहीनगु पूरी धरती पर राज किया था। राजा अहीनागु के बाद उनके पुत्र पारियात्र और उनके बाद शिल, उन्नाभ आदि कई राजाओं का वर्णन मिलता है।

अंतिम राजा अग्निवर्ण
रघुवंश के अन्तिम राजा अग्निवर्ण के दंभ की पराकाष्ठा इतनी थी कि जब जनता अपने इस राजा के दर्शन के लिए आती थी, तो अग्निवर्ण अपने पैर खिड़की के बाहर पसार देते थे। जनता के अनादर का परिणाम यह हुआ कि उनके राज्य का पतन हो गया। इस प्रकार प्रतापी वंश की इति हो जाती है।

रघुवंश के राजाओं के नाम इस प्रकार हैं
1- दिलीप 2- रघु 3- अज 4- दशरथ 5- राम 6- कुश 7- लव 8- अतिथि 9- निषध 10- नल 11- नभ 12- पुण्डरीक 13- क्षेमधन्वा 14- देवानीक 15- अहीनगु 16- पारियात्र 17- शिल 18- उन्नाभ 19- वज्रनाभ 20- शंखण 21- व्युषिताश्व 22- विश्वसह 23- हिरण्यनाभ 24- कौसल्य 25- ब्रह्मिष्ठ 26- पुत्र 27- पुष्य 28- धृवसन्धि 29- सुदर्शन 30- अग्निवर्ण।

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