आखिर तस्वीरों में हमेशा नीला या काला ही क्यों दिखाया जाता है भगवान कृष्णा का रंग
हिंदू धर्म के अनुसार ब्रह्मांड में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है. सृष्टि बनाने वाले त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं. जिसमें ब्रह्मा सृष्टि रचयिता, विष्णु पालनहार और महेश संहारकर्ता माने जाते हैं. लेकिन जब-जब धरती पर अधर्म बढ़ा है तब-तब भगवान विष्णु ने मानव अवतार लिया है और धरती का उद्धार किया है. अब तक भगवान विष्णु ने 23 अवतार लिये हैं. जिसमें से श्रीकृष्ण अवतार 8वां अवतार कहलाता है.
हिंदू धर्म में वेद, पुराण और ग्रंथों के जरिए ही त्रेतायुग, द्वापरयुग का इतिहास पता चला है. वैसे तो किसी ने भी भगवान को साक्षात रूप में नहीं देखा है लेकिन हिंदू धर्म में लोग मूर्तिपूजा को मानते हैं इसलिये भक्तों ने भगवान को अपने मन में बसे स्वरूप के अनुसार ही मूर्तिरूप में ढाल दिया. भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर में अर्जुन को गीता का पाठ पढ़ाया, वहीं उन्होंने अपने दोस्त सुदामा को मुक्ति दिलाई और न जाने कितनी रासलीलाएं रचाई.
भगवान कृष्णा का रंग नीला क्यों है?
पौराणिक मान्यता है कि गोपियां श्रीकृष्ण को श्याम कहकर पुकारती थी और उन्हे नीले रंग के कारण चिढ़ाती भी थी जिससे कृष्ण गुस्सा होकर अपनी मां यशोदा से उनकी शिकायत करते थे.इस वजह से आपको हर जगह भगवान कृष्ण की मूर्ति और तस्वीर नीले या काले रंग की ही दिखाई देती है और शायद आपके मन में कई बार सवाल भी आया होगा आखिर क्यों श्रीकृष्ण को नीला प्रदर्शित किया जाता है. तो चलिए आज हम आपको नीले रंग की खासियत और उसके महत्व के बारे में बताते हैं.
भगवान कृष्णा का रंग –पौराणिक कथानुसार
मान्यता है कि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का अवतार हैं और विष्णु जी सागर में निवास करते हैं. इसलिये भगवान विष्णु ने सागर का नीला रंग स्वयं धारण कर लिया. जिस तरह समुद्र हर एक चीज को अपने में घोलकर भी अपना अस्तित्व बनाए रखता है, उसी तरह हमें भी जीवन के प्रत्येक रंग या परिस्थिति में खुद को समाहित करके सामंजस्य बिठाकर चलना चाहिए.
पुराणों के अनुसार द्वापरयुग में भगवान विष्णु को अवतार कृष्ण ने देवकी माता की कोख से जन्म लिया. भगवान विष्णु ने देवकीमइया के गर्भ में दो बाल रोपे थे. अचानक दोनों बाल रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरितहो गए. जिनमें से एक बाल का रंग काला और दूसरे का रंग सफेद था. सफेद रंग के बाल से बलराम का जन्म हुआ और काले रंग के बाल से श्रीकृष्ण का जन्म हुआ.
द्वापरयुग में श्रीकृष्ण का जन्म मामा कंस के वध के लिये हुआ था. एक कथा के अनुसार जब कृष्ण बालक थे तो राजा कंस ने कृष्ण को मारने के लिये राक्षसी पूतना को भेजा था. पूतना ने एक स्त्री का रूप धारण करके गोकुल के बच्चों को स्तनपान के बहाने विषपान कराया लेकिन भगवान कृष्ण पूतना की सच्चाई जान चुके थे. जब पूतना ने उन्हें स्तनपान कराया तो कृष्ण ने उसे काट लिया और उसके स्तन का विष कृष्ण के शरीर में चला गया और वे श्याम वर्ण हो गए.
पौराणिक कथानुसार गोकुल में श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और मित्रों के साथ यमुना नदी के पास गेंद से खेल रहे थे. अचानक से गेंद यमुना नदी में चली गई. यमुना नदी के अंदर कालिया नाग रहता था जिसने यमुना नदी के पानी को काला कर दिया था, जो भी इस नदी में जाता उसकी मृत्यु हो जाती थी. श्रीकृष्ण ने गेंद उठाने के लिए यमुना में छलांग लगा दी. कालिया नाग ने कृष्ण को देखकर हमला कर दिया. श्रीकृष्ण ने जब कालिया नाग का वध किया तो उसके विष से श्रीकृष्ण का शरीर पूरा नीला हो गया था.
भगवान कृष्णा का रंग नीला मन की शांति और स्थिरता को दर्शाता है. नीला रंग भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र की विशालता का प्रतीक है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है.
हिन्दू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु, श्रीराम, श्रीकृष्ण का रंग नीला है क्योंकि प्रकृति का अधिकांश भाग नीला है. जैसे- समुद्र, आकाश, झरने आदि सभी नीले रंग के हैं और वे बहुत विशाल हैं और अपरिभाषित हैं. ठीक उसी तरह श्रीकृष्ण भी विशाल और अपरिभाषित हैं. उनके श्याम वर्ण को देखकर ही भक्तों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है.
कृष्ण का संस्कृत में अर्थ काला या श्याम होता हैं. श्याम रंग को ‘सर्व वर्ण’माना जाता है यानि इस रंग में ब्रह्मांड के सारे रंग समाहित हैं. उसी तरह श्रीकृष्ण में भी पूरा ब्रह्मांड समाहित है इसलिए सभी स्थानों पर भगवान श्री कृष्ण को श्याम और नीले रंग का प्रदर्शित किया गया हैं. ब्रह्म संहिता के अनुसार भगवान कृष्ण का अस्तित्व नीले रंग के छोटे-छोटे बादलों का समावेश हैं. इसलिये उन्हें नीले रंग से प्रदर्शित किया गया है.