आपने कई बार सुना होगा कि जब किसी को चिकनपॉक्स हो जाता है तो उसे माता कहा जाता है। इस बिमारी में चेहरे के साथ साथ पूरे शरीर पर फुंसियां हो जाती है। जो कुछ दिनों में सही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं सामान्य सी इस बीमारी को भारत में माता क्यों कहते हैं?

दरअसल इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी है, आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है।

क्या होता है चिकन पॉक्स?
चिकन पॉक्स मनुष्यों में होने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक है। इसमें पूरे शरीर पर फुंसियां हो जाती है जो कि 10 से 15 दिन में सही हो जाती है लेकिन चेहरे के निशान जाने में 5-6 महीनों का समय लगता है। साइंटिफिक टर्म में इस बीमारी को मीजल्‍स कहा जाता है, जो मीजल्‍स वायरस से फैलती है।

क्या है धार्मिक पहलू?
कई लोग मानते हैं कि हमारे बॉडी पर भगवान का ही नियंत्रण होता है और हमें जो भी बीमारियां होती है उनके लिए भगवान जिम्मेदार होते हैं। इस बीमारी का पौराणिक पहलू शीतला माता से जोड़ा जाता है। ग्रंथों के अनुसार, शीतला माता, देवी दुर्गा का ही अवतार मानी जाती हैं।

ऐसा है शीतला माता का स्वरूप
शीतला माता दया और उग्रता दोनों का मिश्रण कहि जाती है। शीतला माता के एक हाथ में झाड़ू और दूसरे हाथ में पवित्र जल का पात्र होता है। मान्यता के अनुसार, इसी झाड़ू से माता देती है और उनकी पूजा अर्चना करने पर और सफाई से रहने पर बीमारी खत्म भी कर देती हैं।

इसलिए चिकन पॉक्स को कहते हैं माता
प्रचलित कथा के अनुसार, एक समय पर जवारासुर नाम के राक्षस ने बच्चों को यह बीमारी दी थी। इसके लिए बच्चों ने प्रार्थना की और कात्‍यायनी ने शीतला माता का रूप धारण कर इस बीमारी के कीटाणुओं का खात्मा किया और बच्चों को ठीक किया।

इसी कथा के आधार पर कहा जाता है कि माता जिस से क्रोधित हो जाती है उसे अंदर से जलाने लगती है जिसके परिणामस्वरूप यह बिमारी हो जाती है। इसलिए इन फुंसियों को माता कहा जाता है। वहीं देवी के प्रसन्न होने पर वे शरीर को ठंडक पहुंचाती हैं, जिससे बीमारी ठीक होने लगती है।

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