श्रीरामचरित्रमानस के अनुसार भूलकर भी नहीं करना चाहिए इन 4 स्त्रियों का अपमान
भारत के हिंदू धर्मशास्त्रों में नारी को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा का स्वरूप माना गया है। अथर्ववेद में वर्णित है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। आज इंसान ने बहुत तरक्की कर ली है। कुछ समझदार लोग सोशल मीडिया पर महिला सशक्तिकरण के झंडे भी लहरा रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी देश के कई हिस्सों में भ्रूण हत्या के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। महिलाओं को अभी भी परिवार पर बोझ और भोग के नजरिए से देखा जाता है।
बता दें कि गोस्वामी तुलसीदार कृत श्रीरामचरितमानस में स्त्रियों जुड़ी कई रोचक बातें बताई गई हैं। जो भी व्यक्ति इन चार महिलाओं का अपमान करता है, उसे आजीवन परेशानी का सामना करना पड़ता है।
1. बेटी
हर व्यक्ति को घर की बेटी का सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति घर की बेटी को दुख देता है, वह कभी भी खुश नहीं रहता है। ऐसे व्यक्ति से खुशियां और लक्ष्मी दोनों ही दूर भागती हैं। इसलिए बेटी को हमेशा प्यार और सम्मान देना चाहिए।
2. पुत्रवधू
हिंदू धर्म में घर की पुत्रवधू को लक्ष्मी माना गया है। मान्यता है कि घर में पुत्रवधू के प्रवेश के बाद हर काम शुभ होता है। चूंकि पुत्रवधू मायके छोड़कर अपने पति के घर आती है, ऐसे में उसके साथ आदर भाव रखा जाना चाहिए। जो व्यक्ति घर में पुत्रवधू का सम्मान नहीं करता है, अथवा उसके प्रति बुरे विचार रखता है। उसे जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
3. बड़े भाई की पत्नी
धर्मशास्त्रों में बड़े भाई की पत्नी को मां समान माना गया है। जबकि छोटे भाई की पत्नी को बेटी समान। इन दोनों का सम्मान करना परिवार के हर व्यक्ति का कर्त्तव्य होता है। जो व्यक्ति ऐसी महिलाओं के प्रति बुरी सोच रखते हैं, उन्हें महापाप लगता है।
4. बहन
जो भी इंसान अपनी बहन के साथ दुर्व्यवहार करता है। उसकी भावनाओं का सम्मान नहीं करता है, उसे भगवान भी माफ नहीं करते हैं। भाई का कर्तव्य होता है बहन की रक्षा करना। इसलिए आज ही से प्रण कर लीजिए कि बहन को किसी भी हाल में दुखी नहीं करना है।
गौरतलब है कि प्रकृति ने सिर्फ स्त्री को ही जन्म देने का अधिकार दिया है। इससे साबित होता है कि इस दुनिया में महिलाओं का कितना महत्व है