महाभारत युद्ध के दौरान चक्रव्यूह में क्यों फंस गया था अभिमन्यु, पढ़िए पूरी कहानी
इंटरनेट डेस्क। महाभारत का युद्ध अनंत काल तक पृथ्वी पर लोगों के द्वारा याद किया जाएगा। कई सदियों पहले हुए इस भीषण युद्ध में काफी लोगों की जानें चली गई थी। इस युद्ध में सबसे ख़ास बात ये रही कि, इसमें स्वयं भगवान श्री कृष्ण का वास रहा। महाभारत की कहानी को कई टीवी सीरियल्स और फिल्मों के माधयम से हमने जानने की कोशिशें की हैं। आज इसी महाभारत का एक रोचक किस्सा हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। चलिए पढ़ते हैं ...
महाभारत में अभिमन्यु के चक्र में फंसने की कथा काफी प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु ने जब युद्ध का समाचार सुना तव वह किशोरवस्था मे ही था। लेकिन अपने पिता व रिश्तेदारों की मदद के लिए कुरुक्षेत्र आकर युद्ध में शामिल हुआ। युद्धकाल के समय की बात हैं जब कौरवों के सेनापित द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की। जिसे भेद पाना श्रीकृष्ण के अलावा केवल अर्जुन के ही पास थी।
अर्जुन चक्रव्यूह में प्रवेश करना जानते थे तो उसे तोड़कर बाहर निकलने में भी महारथी थे। लेकिन अभिमन्यु को इस व्यूह में प्रवेश की विद्या ही पता थी। जो उसने अपनी माँ के गर्भ में रहते हुए अपने पिता के द्वारा सुनी थी। युद्ध मैदान में व्यूह को तोड़ना उस वक्त अनिवार्य हो चुका था और अर्जुन युद्ध भूमि के दूसरे छोर पर था। अर्जुन की अनुपस्तिथि की वजह से व्यूह तोड़ने की जिम्मेदारी अभिमन्यु को मिली।
पांडव राज की योजना के मुताबिक अभिमन्यु के द्वारा व्यूह का पहला द्वार तोड़ते ही पांडवों के अंदर घुस जाने की योजना विफल हो गईं। जिसके पीछे जयद्रथ की रणनीति बेहद अहम रही। आखिर में परिणाम बुरा हुआ और अभिमन्यु को कौरव योद्धाओं ने नि:शस्त्र कर घेर कर मार डाला। दरअसल जयद्रथ को वरदान प्राप्त था कि, वह युद्ध भूमि मे एक दिन अर्जुन को छोड़कर शेष चारों भाईयों पर भारी पड़ेगा। जिसके तहत वह सफल हो गया।