मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है ताजमहल। ताजमहल को दुनिया का सातवां आश्चर्य भी कहा जाता है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था। ताजमहल आगरा नगर के दक्षिण छोर पर एक छोटे भूमि पठार पर बनाया गया था। शाहजहाँ ने इसके बदले जयपुर के महाराजा जयसिंह को आगरा शहर के मध्य एक वृहत महल दिया था। आधारशिला एवं मकबरे को निर्मित होने में बारह साल लगे। शेष इमारतों एवं भागों को अगले दस वर्षों में पूर्ण किया गया।

मतलब साफ है ताजमहल को बनाने में पूरे 22 साल लगे थे। पहले मीनारें, फिर मस्जिद, फिर जवाब एवं अंत में मुख्य द्वार बने। मुख्य मकबरा 1643 में पूर्ण हुआ था, किंतु शेष समूह इमारतें बनती रहीं। 1,000 से अधिक हाथी निर्माण के दौरान यातायात हेतु इस्तेमाल हुए थे।ताजमहल में श्वेत संगमरमर राजस्थान से, जैस्पर को पंजाब से, श्रीलंका से नीलम, अरबिया से इंद्रगोप, तिब्बत से फीरोजा़, क्रिस्टल को चीन से और अफगानिस्तान से लैपिज़ लजू़ली जड़े गए। बता दें कि अठ्ठाइस प्रकार के बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न संगमरमर में जोड़े गए थे। दरअसल ताजमहल को लेकर अनेक विवाद और अफवाहे हैं। इस स्टोर में हम आपको ताजमहल से जुड़े सच से रूबरू करवाने जा रहे हैं।

अफवाह- ताजमहल एक शिव मंदिर है। इसे राजपूत राजा ने बनवाया था।
सच- आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार, ताजमहल में शिव मंदिर होने के कोई सबूत नहीं है। शाहजहां ने इसका निर्माण करवाया था, इतिहास की पुस्तकों में इसका विस्तार से वर्णन मिलता है।
अफवाह- 19वीं सदी में ताजमहल यमुना नदी में डूब गया था, इसलिए इसमें दरारें आई थी।
सच- आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के रिकॉर्ड में ताजमहल कभी भी यमुना में नहीं डूबा और ना ही कभी इसमें दरारें आईं।

अफवाह- कुछ घंटों में बदल जाता है ताजमहल का रंग।
सच- ताजमहल का रंग कभी नहीं बदलता है, यह कोरी कल्पना मात्र है। हां, सूर्य की किरणों से कभी-कभी यह सुनहरा दिखाई देता है।
अफवाह- ताजमहल बनाने वाले कारीगरों के हाथ शाहजहां से कटवा दिए थे
सच- शाहजहां ने ताजमहल बनाने वाले मजदूरों के हाथ नहीं कटवाए थे। इतिहासकारों के मुताबिक, शाहजहां ने मजदूरों से जिंदगीभर की पगार देकर उन्हें आजीवन काम ना करने का वादा करवाया था।

अफवाह- शाहजहां सफेद और काला ताजमहल बनवाना चाहता था और दोनों को एक पुल के जरिए जोड़ने की उसकी योजना थी।
सच- यह अफवाह है। शाहजहां की ऐसी कोई योजना नहीं थी। इतिहास की पुस्तकों में कहीं इसका जिक्र नहीं मिलता है।

Related News