महाभारत की 5 प्रेम कहानियां, जिन्होंने बदल दिया था इतिहास
महाभारत में यूं तो कई प्रेम कहानियां है लेकिन हम आपके लिए लाएं है मात्र 5 ऐसी प्रेम कहानियां जिनको लेकर युद्ध तक की नौबत आ गई थी और इतिहास बदल गया।
1. कर्ण और द्रौपदी की प्रेम कथा : हालांकि इस यह कथा मान्यता पर आधारित है। कहते हैं कि द्रौपदी को महारथी कर्ण से प्रेम था और कर्ण को भी द्रौपदी पसंद थी। स्वयंवर में कर्ण भी गए थे। राजा द्रपुद का भीष्म से विरोध था और कर्ण भीष्म के पक्ष में थे। राजा द्रुपद ने द्रौपदी को पहले ही बता दिया था कि कर्ण एक सूत पुत्र है और यदि तुमने उन्हें पसंद किया तो जीवनभर तुम्हें एक दास की पत्नी के रूप में पहचाना जाएगा। स्वयंवर में निराश द्रौपदी ने एक कठिन निर्णय लेते हुए भरी सभा में कर्ण को एक सूत पुत्र कहकर अपमानीत किया था। फिर भी चीरहरण के दौरान द्रौपदी को कर्ण से उम्मीद थी लेकिन कर्ण ने अपने अपमान को याद कर वहां द्रौपदी की कोई सहायता नहीं की। बाद में जब भीष्म पितामह मृत्युशैया पर लेटे थे तब कर्ण ने उनसे कहा कि वे द्रौपदी को चाहते थे। यह बात द्रौपदी ने भी सुनी और पहली बार द्रौपदी को भी पता चला कि कर्ण भी मुझे प्रेम करते हैं।
2.सत्यवती और ऋषि पाराशर : सत्यवती धीवर नामक एक मछुवारे की पुत्री थी और वह लोगों को अपनी नाव से यमुना पर करवाती थी। एक दिन वह ऋषि पाराशर को अपनी नाव में लेकर जा रही थी। ऋषि पाराशर उससे आकर्षित हुए और उन्होंने उससे प्यार करने की इच्छा जताई। सत्यवती ने ऋषि के सामने 3 शर्तें रखी- 1.उन्हें ऐसा करते हुए कोई नहीं देखे, पाराशर ने एक कृत्रिम आवरण बना दिया। 2.उसकी कौमार्यता प्रभावित नहीं होनी चाहिए, तो पाराशर ने उसे आश्वासन दिया की बच्चे के जन्म के बाद उसकी कौमार्यता पहले जैसी हो जाएगी। 3. वह चाहती थी कि उसकी मछली जैसी बदबू एक शानदार खुशबू में बदल जाए, पाराशर ने उसके चारों और एक सुगंध का वातावरन पैदा कर दिया। सत्यवती और पराशर ऋषि के प्रेम के कारण महान महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ।
3. अर्जुन और सुभद्रा का प्रेम : सुभद्रा श्री कृष्ण की बहन थी। बलराम चाहते थे कि सुभद्रा का विवाह कौरव कुल में हो। बलराम के हठ के चलते ही तो श्री कृष्ण ने सुभद्रा का अर्जुन के हाथों हरण करवा दिया था। बाद में द्वारका में सुभद्रा के साथ अर्जुन का विवाह विधिपूर्वक संपन्न हुआ। विवाह के बाद वे एक वर्ष तक द्वारका में रहे और शेष समय पुष्कर क्षेत्र में व्यतीत किया। 12 वर्ष पूरे होने पर वे सुभद्रा के साथ इंदप्रस्थ लौट आए। इंद्रप्रस्थ में जब सुभद्रा द्रौपदी से मिली तो उसने तुरंत अर्जुन से अपनी शादी के बारे में नहीं बताया। लेकिन जब वे घुल-मिल गई तो सुभद्रा से सच्चाई बता दी और द्रौपदी ने उसे स्वीकार कर लिया।
4. हिडिंबा और भीम : पांचों पांडव लक्षागृह से बचने के बाद एक रात जंगल में सो रहे थे और भीम पहरा दे रहे थे। जिस जंगल में सो रहे थे वह जंगल राक्षसराज हिडिंब का था। उसकी पुत्री का नाम हिडिंबा था जो कि एक नर भंसक थी। उसने जंगल में भीम को देखा तो उसके प्यार में पड़ गई और अपने भेष बदल कर भीम से शादी करने का प्रस्ताव रख दिया। बहुत कठिनाइयों के बाद दोनों की शादी हो गई और दोनों कुछ समय तक साथ रहे। जब भीम ने उसे छोड़ दिया उसके बाद उसने घटोत्कच्छ को जन्म दिया जिसकी उसने बिना किसी पश्चाताप के अकेले देखभाल की।
5. अर्जुन और उलूपी का प्रेम : अर्जुन की चौथी पत्नी का नाम उलूपी था। कहते हैं कि उलूपी जलपरी थी। उन्हीं ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान दिया था। इसके अलावा उसी ने चित्रांगदा और अर्जुन के पुत्र वभ्रुवाहन को युद्ध की शिक्षा दी थी। महाभारत युद्ध में अपने गुरु भीष्म पितामह को मारने के बाद ब्रह्मा-पुत्र से शापित होने के बाद उलूपी ने ही अर्जुन को शापमुक्त भी किया था।