श्री कृष्ण की इस सलाह के कारण दुर्योधन को महाभारत के युद्ध में करना पड़ा था हार का सामना
महाभारत और रामायण को हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक ग्रथों में माना जाता है और इनसे जुड़ी कई ऐसी कहानियां प्रचलित हैं जिन्हे जानने के बाद सभी हैरान हो जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जानकार आप दंग रह जाएंगे।
आज हम गांधारी के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनकी महानता और बलिदान के कारण आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। गांधारी जन्म से अंधी नहीं थी उसका विवाह जब धृतराष्ट्र से हुआ जो कि जन्म से अंधे थे इस कारण उन्होंने भी अपने आँखों पर पट्टी बांध कर अपना पूरा जीवन व्यतीत किया।
अपने इस त्याग के कारण गांधारी को एक खास शक्ति मिली जिसके अनुसार जब भी वह पट्टी खोलकर किसी को देखेगी तो उसकी तेज दृष्टि से व्यक्ति वर्ज सा कठोर हो जाएगा। इसलिए महाभारत के युद्ध के दौरान गांधारी ने अपने पुत्र दुर्योधन को वज्र सा कठोर बनाने के लिए अपनी पट्टी खोलने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने दुर्योधन को अपने सामने आने को कहा। इसके बाद जब दुर्योधन मां गांधारी के सामने जा रहे थे तब उन्हें बीच में श्री कृष्ण मिले और उन्होंने इस तरह से माता के समक्ष जाने से दुर्योधन को रोका और कहा कि वे लंगोट पहन कर माँ के सामने जाए।
दुर्योधन यदि ऐसे ही माँ के सामने जाते तो उनके पूरा शरीर वज्र सा कठोर हो जाता लेकिन वतुर्य पूर्वक कृष्ण ने दुर्योधन को ये सलाह दी और दुर्योधन ने कृष्ण की सलाह मान ली। इसलिए जब वे माँ के सामने गए तो लंगोट वाली जगह को छोड़ कर उनका पूरा शरीर वज्र सा कठोर हो गया। कहते हैं महाभारत के युद्ध के दौरान भीम ने दुर्योधन की जंघा पर वार किया और इसी कारण दुर्योधन की मृत्यु हुई।