जैसलमेर, भानगढ़ और भी ऐसे कई किले हैं जिनके नाम से राजस्थान के बहुत से पुराने इतिहास आज भी लोगों के जहन में खई सारे सवाल खड़ा कर देते हैं। यहां छोटे बड़े सभी किले हैं इनमें से अमूमन सभी के पीछे एक बड़ा इतिहास है।

लेकिन आज हम बात करेंगे चित्तौड़गढ़ किले की, वर्षभर चित्तौड़गढ़ किले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। विदेशों में इस किले की बनावट एवं खूबसूरती का जिक्र होता है। इस किले को देखने के लिए साल भर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन इसी किले का एक हिस्सा ऐसा है, जहां जाने की कोई हिम्मत नहीं करता।

यह है चित्तौड़गढ़ किले का ‘जौहर कुंड’,कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी की रानी पद्मिनी पर बुरी नजर थी, जिसके लिए उसने राजा के साथ युद्ध करके जीत के बदले में पदमिनी को भी मांगा। फिर क्या था राजा रतन सिंह युद्ध में शहीद हो गए। उनके शहीद होने की ख़बर सुनने के बाद सभी रानियां रानी पद्मिनी की अगुवाई में जौहर कुंड की ओर बढ़ीं, और अग्नि में कूद पड़ी।

तभी से ऐसा कहा जाता है कि जौहर कुंड भूतिया है, यहां नकारात्मक शक्तियां है। इसके पीछे एक बड़ी कहानी है जो प्यार, दुश्मनी और एक बड़े बलिदान के बारे में बताती है।

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