हौंसले अगर बुलंद हो तो कोई मंजिल मुश्किल नहीं होती, ऐसा ही सच कर दिखाया है 15 वर्षीय ज्योति ने। लॉकडाउन मेंगुरुग्राम से अपने दिव्यांग पिता को साइकिल पर बिठा कर इस लड़की ने 1200 किलोमीटर की दुरी तय की। इवांका ट्रंप भी इनकी तारीफ़ कर चुकी है।

लेकिन अब उसकी किस्मत चमक गई। दरअसल इंडियन साइकिल फेडरेशन ने खुद उसके गाँव आकर ट्रायल लेने की बात कही है। ये बात सुनते ही उनके पूरे परिवार और गाँव में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। ज्योति भी अपने सपनों को पंख देने के लिए दिन रात साइकिल प्रेक्टिस में जुट गई है। जिला साइकिलिंग संघ भी ज्योति की पूरी मदद करने में जुट गई है।

कमतौल क्षेत्र के सिरहुल्ली गांव निवासी मोहन पासवान की बेटी ज्योति के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। मां फूलो देवी आंगनबाड़ी में सहायिका हैं। साथ ही खेतों में काम करती हैं। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर की ज्योति पैसे के अभाव में आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुकी है।

ज्योति का कहना है कि मैंने ये कभी नहीं सोचा था । लेकिन, अब इसके लिए पूरी मेहनत करूंगी। साइकिलिंग के जरिये सपना पूरा करने के साथ गांव का नाम रोशन करूंगी।

राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए किया जाएगा तैयार

जिला साइकिलिंग संघ के अध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने कहा कि राज्य स्तर पर ट्रेनिंग देकर राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जाएगा। अगर ज्योति की पढ़ाई में किसी प्रकार की समस्या आती है तो जिला प्रशासन हरसंभव मदद करेगा।

500 रुपए में खरीदी थी साइकिल

ज्योति के पिता गुरुग्राम में रहकर ऑटो चलाते थे। लेकिन एक सड़क हादसे में उनकी जिंदगी बदल गई और ज्योति 30 जनवरी को दिल्ली पहुंची। इसी बीच मार्च के तीसरे सप्ताह में लॉकडाउन हो गया। जब उनके पास खाने को पैसा नहीं बचा तो उसने साइकिल पर ही अपने पिता को लेकर आने का फैसला किया। 10 मई की रात गुरुग्राम से घर के लिए निकली औरआठ दिन में घर पहुंची तो आस-पड़ोस के लोग दंग रह गए थे।

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