जानिए गुरुवार के दिन व्रत करने की विधि, बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा
इंटरनेट डेस्क। दोस्तों आपको बता दे की हिन्दू धर्म के तीन मुख्य देवों में से एक श्री हरि विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपो का एक रूप है। वेदों एयर पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को जगत का पालनहार कहा गया है। गुरुवार का व्रत करने से धन तथा विद्या का लाभ होता है। इस दिन गुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी भगवान विष्णु का दिन होता है। अतः इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
गुरुवार के दिन व्रत करने की विधि
शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात गुरुवार करना चाहिए। पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए। इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए।
दोस्तों आपको बता दे की मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए। भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है। शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए।
दोस्तों आपको बता दे की हिन्दू धर्म के तीन मुख्य देवों में से एक श्री हरि विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपो का एक रूप है। वेदों एयर पुराणों में त्रिमूर्ति विष्णु को जगत का पालनहार कहा गया है। गुरुवार का व्रत करने से धन तथा विद्या का लाभ होता है। इस दिन गुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में देवगुरु बृहस्पति का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी भगवान विष्णु का दिन होता है। अतः इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी की जाती है।
गुरुवार के दिन व्रत करने की विधि
शास्त्रों के अनुसार दोस्तों आपको बता दे की बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है। अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात गुरुवार करना चाहिए। पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए। इस दिन पीले वस्त्रों, पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए।
दोस्तों आपको बता दे की मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए। भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग किया जा सकता है। शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और बिना नमक का भोजन करना चाहिए।