इंजीनियरिंग हो या मेडिकल, एमबीए हो अथवा लॉ। प्रत्येक हॉस्टल में एक जैसी मस्ती होती है। यह सच है कि हॉस्टल लाइफ और फिल्में एक दूसरे ​के बिना अधूरी है। अगर आप हॉस्टल में रहे हैं, तो आपने ये फिल्में आपने जरूर देखी होगी।

1. अंदाज़ अपना-अपना


हॉस्टल लाइफ की सबसे ज़रूरी फिल्मों में से एक है अंदाज अपना अपना। क्योंकि इसमें घूमते फिरते किसी कॉरिडोर या क्लासरूम में इस फिल्म के डायलॉग सुनने को मिल ही जाते हैं। मोगैम्बो का भतीजा हूं, आया हूं तो कुछ लेकर ही जाऊंगा। या फिर आप पुरुष ही नहीं महापुरुष हो। तेजा मैं हूं, मार्क इधर है। इस फिल्म में आमिर खान, सलमान खान, रवीना और करिश्मा ने चुटीले गुदगुदाते संवाद सुनने को मिल जाएंगे।

2. रहना है तेरे दिल में


हॉस्टल का सीधा मतलब है लोगों के प्रेम कहानी की शुरूआत। ऐसे में यह फिल्म हॉस्टल में रहने हर लड़के की शान है। एक ऐसी प्रेम कहानी जिसे देख कर हर लड़का खुद को maddy समझने लगता है।

3. आनंद


मन भारी हो, रिजल्ट ख़राब हुआ हो, प्यार में हार या बस यूं ही मन खाली सा लगे तो राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन की आनंद बच्चे जरूर देखते हैं। सीधे साधे इंसान की सीधी साधी कहानी और शायद ही कोई होगा जो आनंद के आखिरी दृश्य में आंसू बहता ना मिले। हॉस्टल में रहने वाले बड़े से बड़े बाबा से लेकर मस्त हुड़दंगियों तक सभी को रूलाया है आनंद ने। बाबूमोशय जिन्दगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में है।

4. रंग दे बसंती


मस्ती की पाठशाला होता है हॉस्टल, जहां छात्र टल्ली होकर ग्रेविटी के लेसन सीखते हैं और इश्क के प्रैक्टिकल करते हैं। 26 जनवरी हो या फिर 15 अगस्त हॉस्टल में रंग दे बसंती का चलना एक जरूरी नियम सा है।
हॉस्टल में रहना वाला लड़का यह फिल्म देखकर खुद को किसी न किसी किरदार से जोड़ ही लेता है। भगतसिंह तो वैसे भी सबके हीरो है और आज़ादी की लड़ाई को आज की लड़ाई के साथ मिलकर देखना एक अलग ही अनुभव है।

5. दिल चाहता है


हॉस्टल और कॉलेज लाइफ खत्म होने के बाद एक बार लोग दिल चाहता है जरूर देखते हैं। खेल, मस्ती और मज़ा करते-करते कब हम बड़े हो जाते है पता ही नहीं चलता और छोटी छोटी भूलें कब बड़ी गलतियाँ बन जाती है।

6. फिर हेरा फेरी


फिल्म हेराफेरी में ऐ राजू ……, उठा ले रे देवा उठा ले मुझे नहीं इन दोनों को उठा ले, बाबू भैय्या……ये संवाद हॉस्टल के कमरों में सुनने को मिल ही जाते हैं।

7. घातक


सनी देओल की यह फिल्म करीब हर हॉस्टल की फेवरेट होती है। घातक ही नहीं सनी पा जी की ग़दर, दामिनी और बॉर्डर भी उन फिल्मों में से है जो हॉस्टल में मौके बे मौके देखी जाती है। कातिया को चुनौती देता काशी हो या फिर ढाई किलो का हाथ सनी देओल के हर संवाद में हॉस्टल में सीटी और तालियाँ आज भी बजती हैं।

8. गोलमाल


हॉस्टल के शुरूआती दिनों से लेकर हॉस्टल से जाने के दिनों तक ये दोनों फिल्में हर कमरे की जान होती है। अमोल पालेकर और उत्पल दत्त की गोलमाल और धर्मेन्द्र-अमिताभ और ओमप्रकाश की चुपके चुपके।

9. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर


अनुराग कश्यप की इस क्राइम ड्रामा के फैन देश के हर कोने में मिल जाएंगे। फिर हॉस्टल में गैंग्स ऑफ़ वासेपुर से कम किस्से कहानियां होती हैं क्या। इसका हर एक संवाद कोई न कोई किसी को बोलता दिख जायेगा। बेटा तुमसे ना हो पाएगा, मारेंगे नहीं उसकी कह के लेंगे।

10. गुंडा


अगर आपने मिथुन चक्रवर्ती उर्फ़ प्रभु जी की गुंडा नहीं देखी तो पूरी हॉस्टल लाइफ बेकार है। हॉस्टल के स्टूडेंट्स ने बाकायदा कैंपेन चला कर गुंडा को हिंदी फिल्म की सबसे ज्यादा रेटिंग दिलवा दी थी।

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