संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने किया कच्छ की तबाही को याद, जानिए उसका इतिहास
हर कोशिश में देश की सरकार जनता का हिम्मत बढ़ा रही है और उनका साथ दे रही है बात करे देश की सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार रात 8 बजे राष्ट्र को चौथी बार देश को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस संबोधन में चार अहम बातें कहीं। पहली- देश को आत्मनिर्भर बनना होगा। दूसरी- आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज दिया जाएगा। तीसरी- आत्मनिर्भर बनने की राह में हमें लोकल प्रोडक्ट्स को अपनाना होगा। चौथी- लॉकडाउन का चौथा फेज आएगा, पर यह नए रंग-रूप और नए नियमों वाला होगा।
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संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कच्छ भूकंप को याद करते हुए कहा कि, मैंने अपनी आंखों के साथ कच्छ भूकंप के दिन देखे हैं। हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा। सबकुछ ध्वस्त हो गया था। ऐसा लगता था मानो कच्छ मौत की चादर ओढ़ कर सो गया था। उस परिस्थिति में कोई सोच भी नहीं सकता था कि कभी हालत बदल पाएगी। लेकिन देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ। कच्छ बढ़ चला। यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है।
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इसी तरह कोरोना के इस जंग में अगर हम हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं। तो चलिए आज जानते है कच्छ की इतिहास 2 मिनट छा गया मौत का मातम 26 जनवरी, 2001 को पूरा देश सुबह गणतंत्र दिवस की खुशियां मना रहा था। सुबह पौने नौ बजे खुशी के इसी मौके पर गुजरात में मातम छा गया था, क्योंकि यहां के दो जिले कच्छ व भुज की धरती को 6.9 रिएक्टर की तीव्रता वाले भूकंप ने कंपाकर रख दिया था। लोग कुछ समझ पाते ही कुछ ही सेकंड में बड़ी-बड़ी इमारतें ताश के महल की तरह जमींदोज होने लगीं थीं। धरती की कंपकंपी सिर्फ दो मिनट की ही थी, लेकिन इसी दो मिनट में सब खत्म। आखिरी आंकड़ों के मुताबिक कच्छ और भुज में 12,000 से ज्यादा लोगों की जान गई।