सरकार की तरफ से छात्रों के लिए एक नई और बहुत ही खास स्कीम आ रही है लेकिन यह स्कीम खास इसलिए हैं क्योंकि यह जिन छात्रों के लिए हैं वो छात्र हैं सिविल वार से प्रभावित सीरिया के छात्र। जी हां, इस साल की शुरुआत में अप्रैल में लॉन्च की गई स्कीम "स्टडी इन इंडिया" योजना के तहत सरकारी और निजी संस्थानों में लगभग 500 सीरिया के छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा।

इस योजना का उद्देश्य दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के देशों के छात्रों को भारतीय संस्थानों (आईआईटी), राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) सहित भारत के शीर्ष संस्थानों में लाने और पढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

अधिकारियों का कहना है कि इस साल 2018-19 के अकादमिक ईयर के लिए हमें कई आवेदन मिले हैं। शायद यह पहली बार है, जब सीरिया के इतने छात्रों ने आवेदन किया है।

ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (2016-17) के अनुसार, पूरी तरह से, सीरिया से 94 छात्र विभिन्न भारतीय संस्थानों में पढ़ रहे हैं। नेपाल के कुल 2,275 छात्र, इथियोपिया के 751 छात्र और बांग्लादेश के 635 छात्रों ने भी इस नई योजना के तहत एडमिशन लिया हैं।

इसके अलावा अगले साल से पेश की गई सीटों की संख्या 22,000 हो जाएगी, जिसमें 55% सीटों पर फीस छूट भी दी जाएगी। इस साल अप्रैल में, सीरिया के उच्च शिक्षा मंत्री ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की थी, जिन्होंने भारत और सीरिया के बीच सहयोग का आश्वासन दिया था और सीरियाई छात्रों को फैलोशिप बढ़ाने की बात भी कही गई थी।

यह एक बहुत ही अच्छा विचार माना जा रहा है। विशिष्ट देशों के छात्र मुख्य रूप से भारत में पढ़ने के इच्छुक हैं इसके पीछे उनके अपने देशों में संकट रहना एक वजह हैं। हमारे मध्य-स्तर के संस्थानों की गुणवत्ता उनके अपने देशों की तुलना में काफी बेहतर है।

आपको बता दें कि "स्टडी इन इंडिया" योजना में दो साल के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है। जिसमें छात्रों के लिए कई तरह की फीस माफ की योजनाएं भी शामिल हैं।

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