महारष्ट्र में गठबंधन से सरकार बनाने में क्यों डर रहा है विपक्ष, ये हैं 3 कारण
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महाराष्ट्र चुनाव नतीजे आए 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी ये क्लियर नहीं हो पाया है कि किसकी सरकार बनेगी। क्योकिं कोई भी गठबंधन करने को तैयार नहीं है। इसलिए ये फैसला अधझुल में ही है। पहले सभी को ये ही लगा था कि भाजपा-शिवसेना का गठबंधन ही सरकार बनाएगा, लेकिन शिवसेना ने इसके लिए जो शर्ते रखी है वो भाजपा मानने को तैयार नहीं है। शिवसेना (Shiv Sena) इस कोशिश में भी लगी है कि वह कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन (Congress-NCP) के साथ मिलकर सरकार बना ले। लेकिन भाजपा के साथ कोंग्रेस और एनसीपी भी शिवसेना के फैसलों के सामने झुकना नहीं चाहती है।
शिवसेना चाहती है कि महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन वाली सरकार में कम से कम आधे समय यानी ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री (Aaditya Thackeray) हो, लेकिन बीजेपी इस फैसले से खुश नहीं है और इसलिए गठबंधन नहीं करना चाहती है। सवाल ये है कि जब कांग्रेस के पास वहां सरकार बनाने का मौका है तो कांग्रेस किस बात से डर रही है? हम इसी बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं।
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पहला कारण
दरअसल अब कांग्रेस जानती है कि सरकार बनाने से कुछ नहीं होने वाला क्योकिं जनता का विश्वास जीतना ज्यादा जरूरी है। हम आपको बीते एक किस्से की याद दिलाएं तो कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। तब कांग्रेस और जेडीएस ने मिल कर मई 2018 में सरकार बनाई थी और भाजपा को जीतने से रोक दिया था लेकिन उनकी सरकार मात्र 15 महीने ही चल पाई। इसलिए इस बात से कांग्रेस सबक ले चुकी है कि गठबंधन से सरकार बनाने से कुछ होने वाला नहीं है।
हालाकिं कांग्रेस भाजपा को जीतने से रोक भी देगी तो भी पूरे देश में विजय परचम लहराने में उन्हें अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ेगी।
दूसरा कारण
एक बात जिस को सभी मानते हैं कि आदित्य ठाकरे (Aaditya Thackeray) अभी इतने काबिल नहीं हैं कि वह सरकार चला सकें। ऐसे में यदि कॉंग्रेस शिवसेना के साथ गठबंधन करती है तो उनका सूपड़ा आगे जा कर बिल्कुल साफ़ भी हो सकता है क्योकिं इस समय कांग्रेस पार्टी को भी एक अनुभव वाले लीडर की जरूरत है।
तीसरा कारण
कांग्रेस जानती है कि सबसे ऊपर जनता के वोट्स की पावर ही होती है। जनता ने महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन को जिताया है तो जनता आगे भी ऐसा ही करेगी। इसलिए अभी गठबंधन करना समझदारी नहीं होगी।