दुनिया के 7 अजूबों का जिक्र होता है तो सबसे पहले मन में ताजमहल का नाम आता है। ये उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में बनी एक ऐतिहासिक इमारत है। इसे शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की मौत के बाद उनकी याद में बनवाया था। दूर दूर के देशों से बहुत से लोग ताजमहल को देखने आते हैं। सफेद संगमरमर से बना ताजमहल देखते ही आपका मन मोह लेगा। इस पर बनी सुंदर नक्काशी बेहद ही खूबसूरत है।

लेकिन आज हम आपको ताजमहल के बारे में एक ऐसा सच बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको भी कोई जानकारी नहीं होगी। तो आइए जानते हैं इस बारे में।

कहा जाता है कि ताजमहल के मकबरे की छत पर एक छेद है लेकिन ये छेद इसको बनाने वाले कारीगरों ने छोड़ा क्योकिं शाहजहां ने उन मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे तो वे नहीं चाहते थे कि ये इमारत लंबे समय टिकी रहे और इसी छेद के कारण ताजमहल में उमस रहती है।

ताजमहल का आधार जिस लकड़ी पर खड़ा है वो लकड़ी इतनी मजबूत है कि वैज्ञानिक भी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं और पानी के सम्पर्क में आकर नमी से ये और भी मजबूत होती जा रही है

ताजमहल के चारों मीनार एक दूसरे की ओर झुके हुए हैं जिस से भुंकप या सुनामी के समय ये गिर ना जाए।

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ताजमहल की कलाकृति में 28 तरह के नायाब पत्थरों को लगाया गया था और इन पत्थरों को चीन, तिब्बत और श्रीलंका से लाया गया था और यह बेहद कीमती पत्थर थे पर अंग्रेजों ने इन पत्थरों को निकाल लिया था ।


द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने ताजमहल के गुंबद को बांस के घेरे लगाकर उस पर हरी चादर डाल दी थी ताकि पाकिस्तान इस खूबसूरत इमारत को तबाह ना कर दे।

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ताजमहल को 1932 से लेकर 1953 तक का समय लगा था और इसे बनाने में कुल 32 मिलियन रुपए का खर्च आया था लेकिन अगर आप इस राशि की तुलना आज से करें तो ये आज के हिसाब से 106.28 डॉलर यानी डेढ़ लाख करोड़ रुपए है।

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