इस वजह से भगवान राम ने खुद ही तोड़ दिया था रामसेतु पूल, वजह जानकर दंग रह जाएंगे
जब राम रावण का वध करके वापस अयोध्या लौट कर आए तो वे वहां के राजा बन कर रहे। लेकिन एक बार उनके मन उनके मन में विभीषण का ख्याल आया कि वहां पर विभीषण क्या कर रहे हैं और किस तरह शासन कर रहे हैं। वे उनके बारे में जानने के लिए काफी चिंतित थे इसलिए उन्होंने लंका जाने का फैसला किया।
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भरत और राम किष्किन्गा नगरी पर रुके वह पर वानर और सुग्रीव की सेना से मिले। जब सुग्रीव को ये ज्ञात हुआ कि भगवान राम और भरत विभीषण से मिलने लंका जा रहे हैं तो सुग्रीव ने भी उनके साथ जाने का फैसला किया।
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तीनों पुष्पक विमान से लंका की तरफ आगे बढे और लंका पहुंचे। उन्हें वहां देख कर विभीषण को बेहद ख़ुशी हुई। विभीषण ने उनका काफी अच्छे से स्वागत और आवभगत की।
भगवान राम ने धर्म और अधर्म का ज्ञान विभीषण को दिया वह लंका में राम 3 दिनों तक रुके। इसके बाद विभीषण ने राम से कहा कि भगवान आपने जो रामसेतु पुल बनाया लेकिन कभी अगर इस रास्ते से चलकर मानव मुझे परेशान करेगा तो मैं क्या करूंगा। इसलिए राम ने बिना सोचे समझे इस पूल को तोड़ दिया और तहस नहस कर दिया। इसी वजह से भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता हैं।