रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज अपनी प्रेस कांफ्रेंस में क्या कुछ कहा, जानें अहम बातें
कोविड-19 संक्रमण के ताजा मामलों और मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने प्रमुख उधारी दर को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, लेकिन साथ ही अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए जरूरत पड़ने पर आगे कटौती की बात कहकर उदार रुख को बरकरार रखा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा कि रेपो दर को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने कहा, ''सभी की सहमति से यह भी निर्णय लिया कि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी हो, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के प्रयास जारी रहेंगे।''
आरबीआई ने लगातार पांचवी बार नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा, रेपो रेट चार प्रतिशत पर।
* चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि का पूर्वानुमान 10.5 प्रतिशत पर बरकरार।
* वृद्धि को समर्थन देने के लिए आरबीआई मौद्रिक नीति में उदार रुख को बनाए रखेगा।
* मुद्रास्फीति को लक्षित स्तर पर बनाए रखा जाएगा।
* हाल में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी ने आर्थिक सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है, वायरस के संक्रमण पर काबू पाने की जरूरत।
* जून और सितंबर तिमाही में क्रमश: 26.2 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि का अनुमान, जबकि दिसंबर और मार्च तिमाही में यह आंकड़ा क्रमश: 5.4 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत रह सकता है।
खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर 2020-21 की मार्च तिमाही के लिए पांच प्रतिशत किया गया।
* जून और सितंबर तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 प्रतिशत रह सकती है।
* प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को पर्याप्त ऋण मिले।
* नए ऋण के लिए नाबार्ड, एनएचबी और सिडबी को 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी सुविधा।
* स्थिरता बनाए रखने और वैश्विक अवरोधों से वित्तीय कंपनियों को बचाने के लिए जो भी करना होगा, वह किया जाएगा।
* भुगतान बैंकों के प्रत्येक व्यक्तिगत ग्राहक के लिए अधिकतम शेष सीमा को दिन के अंत में एक लाख रुपये से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया गया।
* परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनियों (एआरसी) के कामकाज की व्यापक समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया गया।