ये सच है कि आज एडवांस टेक्नोलॉजी ने हमे पूरी तरह बदल दिया है। आज के जमाने में हमारा एक भी घंटा ऐसा नहीं बीतता कि जब हम टेक्नोलॉजी या उससे जुड़े किसी गैजेट का यूज ना करें। ऐसे में बहुत सी चीज़े ऐसी के बहुत से गैजेट ऐसे है जिन्हें हम ठीक या कह सकते है पूरी तरह से समझ नहीं पाते है। उन्हें लेकर कर तरह के मिथिक या भ्रांतिया हमे रहती ही है। आपने देखा होगा कि फ़ोन में भी हमे अपने ही फ़ोन के कई फीचर्स नहीं पता होते है कई बेटरी और चार्चिंग को लेकर भी हमे कई प्रकार के भ्रांतिया रहती है। ऐसे में अपने गैजेट ता अपने स्मार्टफोन की भ्रांतिया कितनी सच है ये आज हम आपको बता रहे है।

रात में चार्जिंग से बैटरी खराब -
भ्रान्ति या सच ; अक्सर लोग मानते है कि रातभर चार्जिंग से फोन ब्लास्ट हो सकता है या फिर फ़ोन खराब हो सकता है।
सच - बता दें कि रातभर चार्जिंग से फ़ोन खराब या ब्लास्ट नहीं होता है और आपको बता देब कि आज कल सबके पास 'स्मार्ट' फोन होते है। जो रियल में भी स्मार्ट होते है। फ़ोन फुल चार्ज होने पर खुद ब खुद चार्जिंग होना बंद हो जाते है।


मेगापिक्सल्स ज़्यादा होना मतलब अच्छी फोटो -
भ्रान्ति या सच ; हम नया फ़ोन लेते समय यह देखते है कि मेगापिक्सल्स ज़्यादा होना चाहिए। कैमरा के क्या फीचर्स है ये आज कल हम हर फ़ोन में देखते है।
सच - सच तो यह है कि कैमरे के मेगापिक्सल्स तब देखे जाते है जब हम किसी फोटो को प्रिंट करवाते है। आपको बता दे कि फोटो की क्वॉलिटी केवल मेगापिक्सल्स को ही नहीं देखा जा सकता है , इसके साथ हमें कैमरा लेंस, सेंसर, फोकस इन सब को भी देखना चाहिए।

मल्टी - कोर प्रोसेस -
भ्रान्ति या सच ; जब भी हम नया फ़ोन खरीदते है तो मल्टी-कोर प्रोसेस को चेक करते है।
सच - ये जरूरी नहीं है कि मल्टी-कोर प्रोसेसर्स दें। इसे तो केवल सिंगल या ड्यूल - कोर प्रोसेसर के हिसाबसे डिजाइन किया जाता है। प्रोसेसर्स की बिल्ड क्वॉलिटी और सपोर्टिंग हार्डवेयर से परफॉर्मेंस पर बहुत असर पड़ता है।

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