महाराष्ट्र में हफ्तों तक चले सियासी ड्रामे के बाद आखिरकार शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर, 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जिसके बाद से वो हमेशा से चर्चे में रहे, लेकिन इस बार वजह बना है दुनियाभर में कोहराम मचाने वाला जानलेवा कोरोना वायरस और उसके चलते देशभर में लागू लॉकडाउन,

दरअसल, उद्धव ठाकरे ने अपने सियासी जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है. और महाराष्ट्र सरकार के मुखिया फिलहाल विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं. लेकिन संविधान की धारा 164 (4) के मुताबिक सीएम पद पर बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के अंदर, मतलब 29 मई, 2020 से पहले राज्य विधानमंडल के किसी सदन की सदस्यता लेना अनिवार्य है. यहीं से पेंच फंसना शुरू हो रहा है.

उद्धव ठाकरे को अब या तो विधानसभा (एमएलए) या विधान परिषद (एमएलसी) का सदस्य बनना होगा, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे और लॉकडाउन की वजह से महाराष्ट्र में एमलसी के लिए होने वाला चुनाव टाल दिया गया है, यही वजह है कि सीएम पद बचाने के लिए ठाकरे के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है।

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