स्मार्टफोन कैसे पता लगाता है कि मोबाइल स्क्रीन पर ब्राइटनेस को कब बढ़ाना या घटाना है? जानें यहाँ
स्मार्टफोन के ऑटो ब्राइटनेस फीचर का इस्तेमाल हम में से लगभग वो सभी लोग करते हैं जिनके पास स्मार्टफोन होता है। ये स्मार्टफोन रौशनी के आधार पर ये तय कर लेता है कि कब ब्राइटनेस बढ़ानी है और कब कम करनी है। ऐसे में जानते हैं ऑटो ब्राइटनेस फीचर कैसे काम करता है?
जब हम घर से बाहर या तेज रोशनी वाली जगहों पर जाते हैं तो स्क्रीन की ब्राइटनेस बढ़ जाती है. वहीं, रात के समय के स्क्रीन की चमक धीमी पड़ जाती है। इसके बाद इस बारे में जान लेते हैं कि स्मार्टफोन को इस बात का पता कैसे चलता है कि कब ब्राइटनेस को बढ़ाना है या कम करना है।
गैजेट्सनाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोंस में कई सेंसर होते हैं और इन सेंसर्स में प्रॉक्सिमिटी सेंसर, बैरोमीटर्स और गायरोस्कोप आदि शामिल है। इनमें से ही एक है एम्बिएंट लाइट सेंसर। इसी सेंसर की मदद से यह फीचर काम करता है।
स्मार्टफोन में लगा एम्बिएंट लाइट सेंसर ये पता लगाता है कि फोन के पास किस समय कितनी रौशनी है। यह एक कैमरे की तरह काम करता है। इसी रौशनी को केलकुलेट कर के ये फोन की ब्राइटनेस को कम करता है या बढ़ाता है।
पिक्सल और सैमसंग के कुछ फोन्स में ‘अडाप्टिव ब्राइटनेस’ फीचर भी दिया गया है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ब्राइटनेस को एडजस्ट करता है।