हम सभी रोजाना बहुत सा समय स्मार्टफोन या लैपटॉप पर बिताते है। लोग बैंक से जुड़े काम भी ऑनलाइन करते हैं। भले ही ये सुविधा भरा हो लेकिन साइबर अपराधी भी इसका फायदा उठा रहे है। अपराधी लोगों को झांसे में फसा कर कुछ मिनट में ही उनका बैंक अकाउंट खाली कर सकते हैं। इससे लोगों को बड़ा नुकसान पहुंचता है। इसके लिए अलग अलग तरीके हैं लेकिन इसका सबसे कॉमन तरीका स्पूफिंग है। इसके तहत अपराधी फर्जी वेबसाइट बनाकर आपके साथ बैंक फ्रॉड कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

स्पूफिंग क्या है?
स्पूफिंग में अपराधी फर्जी वेबसाइट बनाते हैं, जिसकी मदद से वो फ्रॉड करते हैं। फर्जी वेबसाइट को एकदम रियल जैसा दिखाने के लिए अपराधी असल वेबसाइट के नाम, लोगो, ग्राफिक और यहां तक कि उसके कोड का भी इस्तेमाल कर लेते हैं। इसके अलावा ब्राउजर विन्डो के टॉप में एड्रेस फील्ड में दिखने वाले URL और नीचें सबसे दायीं तरफ दिए गए पैडलॉक आइकन को भी कॉपी कर लेते हैं।

ठगी करने के लिए अपराधी फर्जी वेबसाइट के लिंक वाला ईमेल भेजते हैं जिसमे अकॉउंट से जुड़ी जानकारी को अपडेट या कन्फर्म करने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा अकाउंट से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जैसे आपकी इंटरनेट बैकिंग यूजर आइडी, पासवर्ड, क्रेडिट/ डेबिट कार्ड, पिन, कार्ड वेरिफिकेशन नंबर (CVV), बैंक अकाउंट नंबर आदि को हासिल करने के लिए किया जाता है।

इन सेफ्टी टिप्स को करें फॉलो
अगर आपको कोई आपकी निजी जानकारी पूछने के लिए ईमेल भेजता है तो उनसे आपको पिन, पासवर्ड या अकाउंट नंबर शेयर नहीं करना चाहिए।

वेबसाइट में पैडलॉक आइकन को आपको हमेशा चेक करना चाहिए। वेब ब्राउजर में ब्राउजर के विन्डो में कहीं पैडलॉक आइकन जरूरत होता है। उदाहरण के लिए, माइक्रोसॉफ्ट इंटरनेट एक्सपलोरर में ब्राउजर विन्डो में नीचे दायीं तरफ लॉक आइकन मौजूद होता है। इसके अलावा वेबसाइट की सिक्योरिटी डिटेल्स के लिए अपने वेब ब्राउजर में इस पर क्लिक या डबल क्लिक करें। आपको ये भी चेक करना चाहिए कि ये सर्टिफिकेट किसे जारी किया गया था क्योंकि कुछ फर्जी वेबसाइट्स में ब्राउजर से पैडलॉक आइकन से मिलता-जुलता पैडलॉक आइकन भी मौजूद हो सकता है।

आपको वेबपेज के URL को भी चेक करना चाहिए। URL “http” के साथ शुरू होता है। हालांकि, एक सिक्योर कनेक्शन पर, एड्रेस “https” के साथ शुरू होना चाहिए। इसमें आखिर में दिए “s” का ध्यान रखें।

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