वो विकलांग क्रिकेटर जिसने कभी 20 गेंदों में बनाए थे 67 रन, अब जीवनयापन करने के लिए चलाता है ई-रिक्शा
राजा बाबू तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने 2017 में दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच एक दिव्यांग क्रिकेट मैच में 20 गेंदों में 67 रन बनाए। साल 2017 में राष्ट्रीय स्तर पर खेले गए इस मैच का नाम 'हौसलो की उड़ान' था, जिसमें राजा बाबू ने दिल्ली के खिलाफ उत्तर प्रदेश टीम में मैच जीता। आपको बता दें कि राजा बाबू विकलांग क्रिकेट संघ (बीसीडीए) से मान्यता प्राप्त यूपी टीम के कप्तान भी रह चुके हैं।
तेज बल्लेबाजी से प्रभावित होकर एक स्थानीय व्यापारी ने राजा बाबू को एक ई-रिक्शा दिया। बाबू ने तब सोचा भी नहीं था कि यह इनाम एक दिन उनके इस काम आएगा। बाएं हाथ के क्रिकेटर की पहचान विस्फोटक बल्लेबाज के रूप में हुई। दिव्यांग क्रिकेट सर्किट में राजा बाबू राज्य और राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट में धूम मचा रहे थे। 2017 में आईपीएल के रिकॉर्ड पर एक टी20 टूर्नामेंट में मुंबई टीम का कप्तान चुना गया था।
हालांकि, दो साल से अधिक समय से राजा बाबू (31) गाजियाबाद की सड़कों पर एक ही ई-रिक्शा चला रहे हैं।
राजा बाबू ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए कहा- "फिलहाल मैं बहरामपुर और विजय नगर के बीच लगभग 10 घंटे ई-रिक्शा चलाने के लिए मजबूर हूँ ताकि मैं केवल 250-300 रुपये कमा सकूं। घर का खर्च नहीं मिल रहा है और बच्चों की शिक्षा के लिए कुछ भी नहीं बचा है। हम सभी जानते हैं कि विकलांगों के लिए रोजगार के कितने अवसर हैं।"
राजा बाबू मूल रूप से जालौन के रहने वाले हैं। उनके परिवार में पत्नी निधि और दो बच्चे कृष्णा और शानवी हैं। साल 1997 में ट्रेन की चपेट में आने से राजाबाबू का बायां पैर टूट गया। उस समय वह 7 वर्ष के थे। जीवन में इतनी कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अपने हौसले को बनाए रखा और अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलना सीखा।
धीरे-धीरे उनकी क्रिकेट के प्रति रुचि बढ़ती चली गई। उसके बाद साल 2013 तक उन्होंने क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलना जारी रखा। उन्होंने अपने बेहतरीन खेल से लगातार क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ी। खेल से प्रभावित होकर 23 दिव्यांग क्रिकेट संघ के निदेशक ने उन्हें डीसीए के लिए खेलने का निमंत्रण भेजा। 2015 में, उन्हें उत्तराखंड में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके बाद उन्हें यूपी की दिव्यांग टीम का कप्तान बनाया गया।
क्रिकेट खेलते हुए भी बाबू को इधर-उधर काम करना पड़ता था। कभी-कभी वे आय बढ़ाने के लिए ई-रिक्शा भी चलाते थे। लेकिन असली मुसीबत 2020 में आई जब यूपी में विकलांग क्रिकेटरों के लिए एक धर्मार्थ संगठन दिव्यांग क्रिकेट एसोसिएशन (DCA) को भंग कर दिया गया।
राजा बाबू के लिए पैसे का आना बंद हो गया। बाबू कहते हैं, 'इससे वाकई हमारी कमर टूट गई। पहले कुछ महीनों तक मैंने गाजियाबाद की सड़कों पर दूध बेचा और मौका मिलने पर ई-रिक्शा चलाता था। मेरे टीम के बाकी साथी उस दौरान मेरठ के 'विकलांग ढाबे' में डिलीवरी एजेंट और वेटर के रूप में काम करते थे। इसका उद्घाटन ढाबा एसोसिएशन के संस्थापक और कोच अमित शर्मा ने किया।