ऋषभ के कोच देवेंद्र शर्मा के मुताबिक, 6-7 साल पहले एक कैंप में पंत के पिता ने दोनों को मिलाया था। पंत को दिल्‍ली में कोचिंग लेनी थी, इसलिए वह अपनी मां के साथ राजधानी आ गए। पंत ने एक अंडर-12 टूर्नामेंट में तीन शानदार शतक जड़े और प्‍लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब हासिल किया।

पंत की जिंदगी, तमाम जद्दोजहद के बीच अपने हुनर को निखारने की कहानी है। उत्तराखंड के रुड़की में रहने वाले पंत का परिवार उन्‍हें दिल्‍ली क्रिकेट की टॉप एकेडमी में भर्ती कराना चाहता था। पंत ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष की कहानी बताई थी।

रुड़की से दिल्ली आने के बारे में पंत ने कहा, ‘‘सुबह में रोडवेज की बस चलती थी। सुबह के 2 या 2:30 बजे बस पकड़ता था। सर को बोलता था कि मैं दिल्ली में ही हूं। बस से उतरकर सीधे प्रैक्टिस के लिए पहुंच जाता था।’’

पंत ने आगे बताया था, ‘‘उस समय हाईवे नहीं बना था। जाने में 6 घंटे लगते थे। मैं दिल्ली भी आता था तो फिक्स नहीं था कि कहां रूकना है। मैं गुरुद्वारे में अकेले रुक जाता था। वहां पर एक वीडियो गेम पार्लर था। रात को एक-दो घंटे वीडियो गेम खेलता था। पार्लर वाले से बातचीत हो गई थी। मैं वहां हमेशा जाता था इसलिए उसके यहां ही सो जाता था। मुझे मम्मी और पापा अकेले नहीं आने देती थी। मम्मी मेरे साथ आती थी। वो प्रैक्टिस के दौरान क्या करती। इसलिए गुरुद्वारे में लोगों की सेवा करती थी। वहां सबकी मदद करती थी।’’


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