केट बॉल क्रिकेट खेल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। परंपरागत रूप से लाल क्रिकेट गेंदों का उपयोग किया जाता था, लेकिन समय बढ़ने के साथ खेल में सफेद क्रिकेट की गेंद को पेश किया गया। हाल ही में, कुछ टेस्ट मैचों में, गुलाबी गेंद का भी उपयोग किया गया है। टेस्ट मैचों में गुलाबी गेंद का कारण यह है कि रात में, लाल क्रिकेट गेंद ठीक से दिखाई नहीं देती है, क्योंकि पीले रंग की फ्लडलाइट के तहत लाल गेंद भूरे रंग के समान नजर आती है, जो पिच के रंग के समान होती है। वन डे और टी 20 क्रिकेट मैच में, सफेद क्रिकेट गेंद का उपयोग किया जाता है।

सफेद और लाल रंग की गेंद

लाल गेंद का उपयोग टेस्ट मैचों में किया जाता है जबकि सफेद गेंद का उपयोग टी 20 और वनडे में किया जाता है। क्रिकेट विशेषज्ञों और खिलाड़ियों के निष्कर्षों के आधार पर किए गए शोध से हमें इन दो गेंदों के बीच अंतर का पता चलता है।

रात में सफेद गेंद की दृश्यता अधिक होती है दर्शकों और टेलीविजन पर प्रसारित करने के लिए बॉल का दिखाई देना जरुरी है। इसलिए वाइट बॉल्स का इस्तेमाल क्रिकेट के लिए होता है। कहा जाता है कि सफेद गेंद अधिक स्विंग होती है और लाल गेंद की तुलना में अधिक चिकनी होती है।

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आजकल पूरे विश्व में एकदिवसियों मैचों के लिए सिर्फ ‘कुकाबुर्रा’ की सफेद गेंदों का ही इस्तेमाल होता है, इसलिए एकदिवसीय क्रिकेट में गेन्द से अधिक पिच और मौसम,स्विंग तथा सीम को प्रभावित करते हैं।

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कुकबुर्रा की लाल गेंदें ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका तथा पाकिस्तान में खेले जाने वाले टेस्ट मैचों में इस्तेमाल होती हैं। इंग्लैंड तथा वेस्टइंडीज़ ‘ड्युक’ ब्रांड की लाल गेंदों का इस्तेमाल करते हैं। तेज़ गेंदबाज़ों के लिए पहली पसंद ड्युक् की गेंदें ही होती हैं। ड्युक् गेंद की सीम काफी उठी हुई होती है, तथा तेज़ गेंदबाज़ों को स्विंग और सीम में बहुत मदद मिलती है। भारत में होने वाले टेस्ट मैचों के लिए SG ब्रांड की गेंदों का इस्तेमाल होता है।

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