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आज भारत समेत पूरा विश्व महात्मा गाँधी जी की 150 वीं जयंती मना रहा हैं। अपनी जिंदगी के आधे से ज्यादा वर्ष उन्होंने साधारण खाड़ी पहने लिबास में निकाल दी। गाँधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे, जिनके आदर्शों पर चलना अपने भविष्य के लिए सही पथ का मार्गदर्शन करना हैं।

बहुत कम लोग जानते हैं कि, गाँधी जी क्रिकेट के दीवाने हुआ करते थे। उनकी आत्मकथा में लिखा हैं कि, जब बापू जी स्कूली बच्चे हुआ करते थे, तब उन्हें शारीरिक अभ्यास करना कतई पसंद नहीं था। लेकिन उनकी क्रिकेट के खेल के प्रति दीवानगी छिपी ही रह गयी।

'महात्मा ऑप पीच: गांधी एंड क्रिक्रेट इन इंडिया' के मुताबिक भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ब्रिटिश द्वारा खेले जाने वाले क्रिकेट खेल का काफी आनंद लिया करते थे। गाँधी जी ने इस खेल को पसंद किया जिसके बाद यह भारत के राष्ट्रीय तानाबाने से जुड़ गया।

हाईस्कूल में गांधीजी के सहपाठी रहे रतीलाल गेलाभाई मेहता के मुताबिक, गाँधी जी एक शानदार क्रिकेटर थे। वो कहते हैं कि, गाँधी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही अच्छे थे (जितना कि मुझे याद हैं)। गेलाभाई मेहता के एक प्रसंग से सपथ होता हैं कि, गाँधी जी क्रिकेट के प्रति जुनूनी थे।

प्रसंग के मुताबिक, जब रतीलाल गेलाभाई मेहता और गाँधी जी एकसाथ क्रिकेट खेल रहे थे तो राजकोट सिटी और राजकोट सदर की टीमों में अच्छा मुकाबला चल रहा था। इसी दौरान एक मौके पर गाँधी जी ने एक खिलाड़ी के आउट होने की भविष्यवाणी की। और थोड़ी देर बाद वह खिलाडी आउट हो गया।

महात्मा ऑप पीच: गांधी एंड क्रिक्रेट इन इंडिया' यह पुस्तक बचपन में गांधीजी की इस खेल के प्रति जुनून से शुरू होती है और भारत में क्रिक्रेट के विकास की गाथा बताती है। इस पुस्तक में स्कूली दिनों के बाद के जीवन में गांधीजी के क्रिक्रेट संबंधी सफर के कुछ किस्से हैं।

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