भारतीय टीम के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर बताया की T20I में लक्ष्य का बचाव क्यों नहीं कर पा रही है टीम इंडिया
भारतीय टीम का प्रदर्शन टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में लक्ष्य का बचाव करते हुए बेहद निराशाजनक रहा है, लेकिन बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर ने आश्चर्यजनक रूप से 'ओस' को इसका एक कारण बताया जबकि हाल ही में संपन्न एशिया कप के दौरान कभी भी ओस की भूमिका नहीं थी एशिया कप के सुपर चार चरण से भारत ने छह टी-20 अंतरराष्ट्रीय खेले हैं और उनमें से तीन में उसे हार और तीन में जीत मिली। भारत को पाकिस्तान, श्रीलंका और आस्ट्रेलिया के विरुद्ध तीनों हार का सामना लक्ष्य का बचाव करते हुए करना पड़ा।
राठौर शायद आस्ट्रेलिया के विरुद्ध मोहाली में हुए मैच का संदर्भ देना चाह रहे थे जहां भारत 200 से अधिक के लक्ष्य का बचाव नहीं कर पाया था। राठौर ने कहा कि मैं गेंदबाजों के प्रति कठोर रुख नहीं अपनाऊंगा क्योंकि वे मैच को आखिरी ओवर तक ले जाने में सक्षम रहे हैं, हर बार, जब हम लक्ष्य का बचाव कर रहे थे। निश्चित रूप से हम बहुत अच्छा कर रहे हैं, लेकिन आशा है कि हम बेहतर होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या क्रीज पर मौजूद बल्लेबाज संभावित लक्ष्य तय करते हैं, कोच ने जवाब दिया कि निश्चित रूप से, यह उस सतह पर निर्भर करता है जिस पर हम खेल रहे हैं, लेकिन जब आप कहते हैं कि हम अच्छा स्कोर नहीं बना पाए हैं तो मैं उससे सहमत नहीं हूं।
राठौर के दावों के विपरीत दुबई में पाकिस्तान और श्रीलंका के विरुद्ध हार के बाद मीडिया से बात करने वाले भारतीय टीम के किसी भी सदस्य ने इसके लिए ओस को जिम्मेदार नहीं ठहराया जिससे स्कोर का बचाव करना मुश्किल हो गया है। राठौर ने यहां दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध पहले टी-20 की पूर्व संध्या पर कहा कि हम लक्ष्य का बचाव करते हुए बेहतर प्रदर्शन करने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन हमारे गेंदबाजों के लिए निष्पक्ष रहूं तो टास ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हर बार जब हम लक्ष्य का बचाव करने में विफल रहे तो ये वे स्थान थे जहां ओस होती है जिससे लक्ष्य का पीछा करना आसान हो जाता है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पहले बल्लेबाजी करना पिछले टी-20 विश्व कप के दौरान चिंताओं में से एक था, लेकिन तब से जब भी हमने पहले बल्लेबाजी की तो प्रतिस्पर्धी स्कोर या इससे बेहतर स्कोर बनाया। इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह कोई मुद्दा है। बल्लेबाजी कोच ने यह भी कहा कि टीम प्रबंधन कभी भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले खिलाडि़यों को कोचिंग देने की कोशिश नहीं करता बल्कि उन्हें अपने मजबूत पक्षों के अनुसार खेलने के लिए प्रोत्साहित करता है। अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी को हमेशा अपनी योजनाओं के अनुसार चलने के लिए कहा जाता है।