एथेंस और रियो पैरा-ओलंपिक खेलों में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र एथलीट, राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता देवेंद्र झाझरिया अगले महीने टोक्यो में होंगे। पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई किया है। झजड़िया ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 63.97 मीटर का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा और 65.71 मीटर का भाला फेंककर ओलंपिक कोटा हासिल किया। इस प्रदर्शन के बाद झजड़िया ने कहा कि वह बहुत खुश हैं और इससे उनका आत्मविश्वास और मजबूत होगा.

The Journey Of Devendra Jhajharia: From A Small Village Boy To The Winner  Of Gold At Paralympics

वह और भी बेहतर प्रदर्शन कर भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। देवेंद्र ने कहा कि दो साल तक कोविड से संघर्ष उनके लिए हर किसी की तरह एक चुनौती था। इस बीच, प्रशिक्षण भी एक चुनौती थी। मुझे लॉकडाउन में एक कमरे में ट्रेनिंग भी करनी थी। इस ट्रायल से पहले कई चुनौतियां थीं। पिछले साल 23 अक्टूबर को पिताजी का निधन उनके लिए एक बड़ा सदमा था। देवेंद्र के मुताबिक पारिवारिक परिस्थितियों के बीच चालीस साल की उम्र में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है. इस प्रदर्शन में उनके कोच सुनील तंवर और फिटनेस ट्रेनर लक्ष्य बत्रा का काफी योगदान रहा है। वह इस सफलता का श्रेय परिवार और मां को देते हैं।

अब उन्हें टोक्यो ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन कर अपने माता-पिता का सपना पूरा करना है। चुरू जिले के झझरियां गांव ढाणी में 1981 में पैदा हुए देवेंद्र झजड़िया को आठ साल की उम्र में एक पेड़ पर चढ़ते समय दुर्घटना के कारण अपना हाथ काटना पड़ा था। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और खेलों में उनकी गहरी रुचि थी। उन्होंने खेलना शुरू किया और कोरिया में 2002 के खेलों में स्वर्ण पदक जीता।

Title: Khel Ratna Award Winner Paralympian Devendra Jhajharia : Sports - एक  करिश्माई खिलाड़ी, जिन्होंने अपने जज्बे से लिखी अपनी सफलता की इबारत |  Patrika News

इसके बाद उन्होंने 2004 में एथेंस पैरालिंपिक के लिए क्वालीफाई किया और न केवल वहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक जीता, बल्कि 62.15 मीटर भाला फेंककर एक नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया। इस ओलंपिक उपलब्धि के लिए उन्हें 2004 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बाद में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा भारत के प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वह पहले पैरालिंपियन हैं। इसके बाद उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था।

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