टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए हर खिलाड़ी अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है। वह किसी भी कीमत पर टीम इंडिया के लिए खेलना चाहते हैं लेकिन सौराष्ट्र के बाएं हाथ के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट कड़ी मेहनत करेंगे लेकिन टीम इंडिया में उनकी वापसी कभी नहीं होगी। सौराष्ट्र के पूर्व कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर करण घवरी ने एक इंटरव्यू में यह बात कही।

एक अंग्रेजी अखबार से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में करसन घवरी ने कहा कि उन्हें टीम इंडिया के चयनकर्ता ने 2019-20 के रणजी सीजन के दौरान कहा था कि जयदेव उनादकट जैसा चाहते थे वैसा कर सकते थे लेकिन टीम इंडिया में वापसी नहीं करेंगे। गौरी के मुताबिक, पूर्व चयनकर्ता ने इसके लिए जयदेव उनादकट की उम्र को जिम्मेदार ठहराया।

"मैंने रणजी ट्रॉफी 2019-20 फाइनल के दौरान चयनकर्ता से पूछा था कि अगर कोई तेज गेंदबाज 60 से अधिक विकेट लेता है और टीम को रणजी ट्रॉफी फाइनल में ले जाता है, तो क्या उसे भारत 'ए' के ​​लिए नहीं चुना जाना चाहिए?" इस सवाल का जवाब देते हुए चयनकर्ता ने मुझसे कहा कि भाई उनादकट अब टीम इंडिया के लिए नहीं चुने जाएंगे। उनका नाम अब 30 खिलाड़ियों में भी नहीं गिना जाता है। मैंने उससे पूछा क्यों? तो उन्होंने कहा कि उनादकट 32-33 साल के हैं और यही बात उनके खिलाफ जाती है।

चयनकर्ता ने आगे कहा कि टीम इंडिया बढ़ते खिलाड़ी पर दांव क्यों लगाएगी? टीम 21-22 या 23 साल के खिलाड़ी का चयन करेगी ताकि वह 8 से 10 साल तक टीम इंडिया के लिए खेल सके। अगर उनादक का चयन आज हो जाता है तो वह टीम इंडिया के लिए कितने साल खेलेंगे? उनादकट के बारे में यह बात तब कही गई जब उन्होंने रणजी सीजन में 67 विकेट लेकर रिकॉर्ड तोड़ा। उनादकट ने 10 मैचों की 16 पारियों में यह कारनामा किया। वह एक रणजी ट्रॉफी सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। ऐसे प्रदर्शन के बावजूद अगर चयनकर्ता उन्हें मौका नहीं देते तो उनके लिए आगे की राह मुश्किल नजर आ रही है।

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