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दोस्तों, आज हम आपको एक ऐसे युद्ध के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे यूनेस्को ने विश्व की आठ श्रेष्ठ जंग में शामिल किया है। जी हां, इस युद्ध में महज 21 सिख योद्धा करीब 12 हजार अफगानी कबाइलियों पर भारी पड़े थे। सैन्य इतिहास में यह सारागढ़ी की जंग के नाम से मशहूर है। बॉलीवुड में इस रोचक युद्ध पर एक बड़ी फिल्म बनने जा रही है।

सारागढ़ी जंग से जुड़ी रोचक बातें

- 12 सितंबर 1897 को अविभाजित भारत में मौजूद हिंदुकुश पर्वतमाला के समाना क्षेत्र में एक छोटे से गांव सारागढ़ी में यह युद्ध लड़ा गया था।

- अफगानी कबाइलियों की लूटमार रोकने के लिए ब्रिटीश हुकूमत ने खानकी घाटी में लोकहार्ट किले और गुलिस्तान किले में अपनी सेना तैनात कर रखी थी।

- इन दोनों किलों के बीच मौजूद सारागढ़ी पहाड़ी पर संकेतों का आदान-प्रदान करने के लिए एक रिले चौकी बनाई गई।

- सारागढ़ चौकी का मुख्य काम सूचनाएं भेजना था, इसलिए यहां ज्यादा सैनिक नहीं होते थे।

- 3 सितंबर, 1897 को कबाइलियों ने गुलिस्तान किले पर हमला किया था, लेकिन इस युद्ध में सिख बटालियन ने उन्हें हरा दिया था।

- 12 सितंबर को भारी संख्या में कबाइलियों ने लोकहार्ट और गुलिस्तान किले का संपर्क तोड़ने के लिए सारागढ़ी पर हमला कर दिया।

- कबाइलियों की संख्या करीब 12 हजार बताई जाती है, जबकि सारागढ़ी चौकी में केवल 21 सिख सैनिक मौजूद थे।

- कबाइलियों ने सारागढ़ी में मौजूद सिख सैनिकों का नेतृत्व कर रहे ईशर सिंह को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा तथा सुरक्षित रास्ता देने का वादा भी किया। लेकिन ईशर सिंह ने अफगानी सैनिकों की यह पेशकश ठुकरा दी।

- लांस नायक लाभ सिंह और भगवान सिंह ने मरने से पहले दुश्मन के असंख्य सैनिकों को मार गिराया। साथियों की लाशें गिरते देख हमलावरों में हड़कंप मच गया।

- सिग्नलमैन गुरमुख सिंह ने आइने चमकाकर इस युद्ध का संकेत लोकाहार्ट किले तक पहुंचा रहे थे। लेकिन लोकाहार्ट किले से मदद मिलना संभव नहीं था, क्योंकि कबाइलियों ने भारी संख्या में घेरा डाला हुआ था।

- हमलावर एक के बाद एक मारे जा रहे थे, लेकिन बहादुर सिखों की ताकत भी कम होती जा रही थी। युद्ध के समय गुरमुख सिंह ने संदेश भेजा कि हमारे आधे जवान शहीद हो चुके हैं, लेकिन लड़ने के लिए अब दो-दो बंदूकें हो चुकी हैं। हम अपनी आखिरी सांस तक दुश्मन का मुकाबला करेंगे।

- गुरमुख सिंह ने लोकहार्ट किले को संदेश भेजा कि अब संदेश भेजने से ज्यादा जरूरी है लड़ना। मुझे लड़ने की इजाजत दी जाए। गुरमुख को इजाजत मिल गई।

- फिर क्या था गुरमुख सिंह ने जब अपनी बंदूक उठाई तो घंटों बाद भी हमलावर आगे नहीं बढ़ पाए।

- हांलाकि कबाइलियों ने सारागढ़ी चौकी के चारो तरफ आग लगा दी। अब आमने-सामने की लड़ाई में कबाइलियों को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा।

- 21 सिख योद्धाओं ने करीब 500 अफगानी सैनिकों को मार गिराया था। जब ब्रिटीश सेना ने हमला किया तो अफगानी केवल 2 दिन में वह युद्ध हार गए।

- ब्रिटीश संसद ने शहीद हुए सभी 21 जवानों को इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट से सम्मानित किया।

- यूनेस्को ने इसे विश्व की 8 सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ लड़ाइयों में शुमार किया।

- सारागढ़ी में शहीदों की याद में स्तूप, लोकहार्ट में स्तंभ और अमृतसर तथा फिरोजपुर में समाधि स्थलों का निर्माण किया गया। ज्यादातर शहीद सैनिक फिरोजपुर के ही थे।

- डिस्कवरी चैनल भी इस ऐतिहासिक लड़ाई पर एक कार्यक्रम प्रसारित कर चुका है।

- बॉलीवुड में भी सारागढ़ी की जंग पर आधारित एक फिल्म बना रही है, जिसका नाम है केसरी। इस मूवी में अभिनेता अक्षय कुमार प्रमुख किरदार निभा रहे हैं।

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